Japanese Encephalitis से पीड़ित बस्तर के पांच बच्चों को मेडिकल कालेज में एडमिट कराया गया है। जबकि एक बच्चे की इस बिमारी से इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। पिछले साल भी जापानी इंसेफ्लाइटिस की वजह से छ बच्चों की मौत हुई थी
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जगदलपुर. बिहार में अब तक 150 से ज्यादा बच्चों की चमकी यानी एक्यूट इन्सेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) नाम की बिमारी से मौत हो चुकी है। जिसमें से सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर (muzaffarpur) में हुई है और अबतक हुए शोध से ये बात सामने आई है की ये बिमारी (japanese encephalitis) ऐसे इलाके के बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रही है जो कुपोषण की समस्या से जूझ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके (Tribal Area) के ज्यादातर बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। नक्सल क्षेत्र (Naxal Area) बस्तर में कुपोषण का स्तर सबसे अधिक है।बस्तर में रहने वाले आदिवासियों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं होने के कारण जगदलपुर संभाग के सभी जिलों को चिकित्सा सुविधाओं के मामले में स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे पिछड़े जिले के रूप में शामिल किया गया है । बस्तर में भी जापानी इंसेफ्लाइटिस ने दस्तक दे दी है। इस बिमारी से पीड़ित पांच बच्चों को एडमिट कराया गया है जबकि एक बच्चे की मृत्यु हो गयी है।
चोलनार के एक बालक को अचानक तेज बुखार होने पर उसे मेडिकल कॉलेज में इलाज हेतु लाया गया जहां डॉक्टरों ने जापानी बुखार होने की पुष्टि की है। इलाज के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया है।
जापानी बुखार ने फिर एक बार छत्तीसगढ के दक्षिण छोर बस्तर में दस्तर दी। मेडिकल कॉलेज में इस बिमारी से पीड़ित पांच बच्चों को एडमिट किया गया।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अनुरूप साहू ने बताया कि, मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी से निपटने के पुख्ता इंतजाम है। कॉलेज प्रबंधन ने पूरी तैयारी कर ली है। ज्ञात हो कि, वर्ष 2017-18 में जापानी बुखार (Japanese Encephalitis) से 5 लोगों की मौत बस्तर में हो गई थी।
बस्तर जिले में जापानी इंसेफ्लाइटिस के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अमले को अलर्ट कर दिया गया। कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली ने जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के डॉक्टरों को Japanese Encephalitis के लक्षण पाए जाने पर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मेडिकल कॉलेज में जापानी इंसेफ्लाइटिस से पीडि़त मरीजों की जांच और उपचार की सम्पूर्ण व्यवस्था की गई है।
बस्तर जिले में दो सालों से जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान भी बंद है। इतना ही नहीं सौ बिस्तर महारानी अस्पताल में चाइल्ड वार्ड ही नहीं हैं। जेई से लगातार हो रही मौत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। पिछले साल पूरे बस्तर संभाग में 6 बच्चों की मौत हुई थी।
कहीं मुजफ्फरपुर न बन जाए छत्तीसगढ़ का बस्तर जापानी बुखार (Japanese encephalitis) से चोलनार में रहने वाले एक 4 वर्ष के बच्चे की जापानी बुखार से मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया। जांच के लिए रायपुर से तीन सदस्यीय टीम पहुंची है। यह टीम मृत बच्चे के गांव चोलनार के पास दामागुड़ा पहुंच कर जांच कर रही है। लोगों को भी इसकी जानकारी देकर बीमारी के लिए जागरूक किया जा रहा है।