गृह राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा-नक्सली दे रहे हैं बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण
अब इस पहल के बाद इसका फायदा बस्तर के उन आदिवासियों को मिलता देख रहा है जिन्होंने नक्सल हिंसा और सलवा जुडूम अभियान से परेशान हो कर पैतृक जमीन छोड़ दिया था और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बस गए थे। सरकार के इस प्रयास का फायदा पूरे देश के 11 राज्यों के नक्सल प्रभावित जिलों में रहने वाले आदिवासियों को भी मिलेगा।पहली बार हो रहा है ऐसा
देश में पहली बार पैतृक जमीन के बदले वन अधिकार कानून के तहत जमीन दिया जाएगा । अब किसी भी राज्य के आदिवासियों को उनकी पैतृक जमीन के बदले जमीन दी जाएगी। इससे पहले इस कानून के तहत ऐसा कभी नहीं हुआ था है। यह पहला मौका है जब इस प्रक्रिया के तहत ऐसी शुरुआत की गई है।सबसे ज्यादा फायदा छत्तीसगढ़ को
इस प्रक्रिया का सबसे ज्यादा फायदा पूरे देश में छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को मिलेगा। इस मुहिम की शुरुआत भी बस्तर के आदिवासियों के दोबारा हिंसा ग्रस्त इलाकों में आने से मना करने और अपनी जमीन के बदले दूसरे स्थान पर वनाधिकार कानून के तहत जमीन देने की मांग के बाद हुआ है। तीन महीने में केंद्र सरकार राज्यों को वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों की जमीन अदला-बदली करवाने की प्रक्रिया शुरू कर देगी। सेंट्रल ट्राईबल मिनिस्ट्री ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए हरी झंडी देते हुए अफसरों से रिपोर्ट भी मंगवा ली है।सरकार के लिए चुनौती
नक्सली हिंसा (Naxal violence) के विस्थापित हुए आदिवासी (Migrated Chhattisgarh tribal) दशकों से दूसरे राज्यों में रह रहे है। ऐसे में उनके पैतृक जमीन से सम्बंधित दस्तवेज उपलब्ध करवा पाना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी। अभी भी राज्य सरकार के पास इस सम्बन्ध में स्पष्ट आकड़े नहीं है।