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बैकफुट पर आये नक्सली तेजी से बदल रहे हैं अपनी रणनीति, जानिए क्या है पूरा मामला

locationसुकमाPublished: Jun 26, 2019 07:12:14 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

नक्सली भी सरकार की नीति की तरह काम करने लगे हैं। नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजन कोंटा एरिया कमेटी की ओर से जारी पर्ची में आत्मसमर्पण (Naxal Rehabilitation Policy) के बाद पुलिस के साथ मिल जाने और डीआरजी में काम करने वाले जवानों को घर वापसी का मौका देने की बात कही है
 
 

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पुनर्वास नीति को असफल बनाने के लिए नक्सलियों ने चली गहरी चाल, जानिए क्या है पूरा मामला

दंतेवाड़ा. नक्सल मोर्चे पर एक ओर जहां सरकार पुनर्वास नीति के जरिए नक्सलियों के आत्मसमर्पण (naxal Rehabilitation policy) और उन्हें डीआरजी (DRG) से जुड़े नक्सलियों के खिलाफ ही मोर्चा पर उतार रही है। तो अब दूसरी और नक्सली भी सरकार की नीति की तरह काम करने लगे हैं।

नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजन कोंटा एरिया कमेटी की ओर से जारी पर्ची में आत्मसमर्पण (Surrendered naxalite) के बाद पुलिस के साथ मिल जाने और डीआरजी में काम करने वाले जवानों को घर वापसी का मौका दिए जाने की जानकारी दी है।

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मंगलवार को जारी इस पर्चे में कहा गया कि पुलिस के लिए काम करने वाले दो आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों की वापसी गांव में आने के बाद अनुमति दे दी गई है। अगर कोई पुलिस के साथ रहकर परेशान है तो उसकी वापसी के लिए दरवाजे खुले हुए हैं। इसके अलावा अलग-अलग सुरक्षाबलों के जवानों से अपील भी की गई है कि वे जनक्रांति के साथ जुड़ जाएं।

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जानकारी के अनुसार नक्सली इन दिनों तेजी से अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। संगठन छोड़ कर सेना में शामिल होकर काम करने वाले जवानों को नक्सली वापस बुला रहे हैं। जारी पर्चे में कहा गया है कि चिंतागुफा में रहने वाले कवासी सिंगा और चल पोच्चा में रहने वाले मांडवी सोमडा को फिर से वापस आने का मौका दिया गया है।
जनता के सामने माफी मांगे और रहे आराम से

नक्सलियों ने पर्ची जारी कर कहा मांडवी सोमडा (Surrendered naxalite) के चलते उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ा। करीब आठ बार DRG की टीम ने इसकी निशानदेही पर हमला किया। लेकिन उसने जन अदालत में आकर अपने इस कृत्य के लिए माफी मांगी। ऐसे में उसे माफ कर दिया गया है।
नक्सलियों ने कहा कि जो भी (naxal Rehabilitation policy) पुलिस के साथ किसी भी कारणवश मिल चुका है। वह अगर वापस गांव आना चाहता है तो तत्काल जन अदालत ने आकर अपने कर्मों की माफी मांग ले। साथ ही यह भी कहा गया है कि पुलिस और डीआरजी की नौकरी छोड़कर वह चाहे जिस विभाग में काम करना चाहे कर सकते हैं।

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