scriptतलाक लेने के लिए गैर युवती को पत्नी बताकर किया अदालत में पेश | A non-married woman as a wife for divorce by telling | Patrika News

तलाक लेने के लिए गैर युवती को पत्नी बताकर किया अदालत में पेश

locationसुल्तानपुरPublished: Sep 18, 2017 11:11:10 am

विवाह विच्छेद के मामले में फर्जीवाड़े का  खुलासा हुआ।

Divorce

सुल्तानपुर. सुलह-समझौते के जरिए वादों का निस्तारण होने के दौरान विवाह विच्छेद व बैंक ऋण से संबंधित ऐसे वाद सामने आए, जिनमें विवाद की स्थिति उत्पन्न होते-होते बची। विवाह विच्छेद के मामले में तो फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ। जिसमें एफटीसी द्वितीय अभय कृष्ण तिवारी की अदालत ने सभी पक्षों का बयान दर्ज कर आगामी चार अक्टूबर के लिए उन्हें उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

अदालत गुमराह करने की कोशिश दूसरी औरत को अपनी पत्नी बता किया पेश

मामला पीपरपुर थाना क्षेत्र के रतापुर गांव से जुड़ा हुआ है। जहां के रहने वाले चंद्रशेखर ओझा वन दरोगा के पद पर सुल्तानपुर में तैनात हैं। उनके बेटे योगेश चंद्र ओझा का विवाह प्रतापगढ़ जिले के शीतलागंज की रहने वाली किरन ओझा पुत्री ओमप्रकाश तिवारी के साथ वर्ष 2004 में हुआ था। योगेश चंद्र ओझा के मुताबिक विवाह के दो वर्ष बाद ही दोनों के बीच अनबन हो गई। जिसकी वजह से करीब दस साल से दोनों के बीच दूरियां बनी हुई हैं। इसी बात को आधार बनाते हुए योगेश चंद्र ने कुटुंब न्यायालय में विवाह विच्छेद एक फर्जी महिला के सहारे दायर किया। जिसे वह करीब तीन पेशियों से साथ लेकर आता रहा और बतौर किरन ओझा उससे विपक्ष की पैरवी की खानापूर्ति करती रही। इसी मुकदमों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए योगेश चंद्र ने लोक अदालत में नियत कराया था। जिसके लिए योगेश फर्जी महिला सुमिता मिश्रा पुत्री सतीश चंद्र मिश्रा निवासी चोलापुर जनपद वाराणसी को अपनी पत्नी किरन मिश्रा बताकर अदालत के समक्ष पेश हो गया। इस बात की भनक कहीं से योगेश की सही पत्नी किरन पक्ष को लग गयी। जिसके परिजन तत्काल ही अपने अधिवक्ता विनोद मिश्रा के साथ अदालत के समक्ष पहुंच गए और तब इस खेल का भंडाफोड़ हो गया।

अगली पेशी तक पेश करनी है पहचान

किरन के अधिवक्ता की तरफ से दफा सं 340 की अर्जी देकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गयी। इस मामले में संज्ञान लेते हुए अदालत ने योगेशचंद्र, सुमिता मिश्रा, किरन मिश्रा व इन सभी की पहचान करने अन्य जिले से आये अधिवक्ता वेद प्रकाश पांडेय का बयान दर्ज कर अगली पेशी चार अक्टूबर के लिए पुन: उपस्थित होने का निर्देश दिया। फर्जी किरन ओझा बनकर आयी सुमिता मिश्रा ने अपने दो अन्य नाम सुमन उर्फ सुनीता मिश्र भी होना बताया है। यही नहीं उसने बयान दिया है कि प्रत्येक पेशियों पर उसे तीन-तीन हजार रूपये किरन ओझा बनकर अदालत में पेश होने के लिए दिया जाता था। वहीं अधिवक्ता वेद प्रकाश ने योगेश चंद्र को एक ला फर्म के माध्यम से पहचान होने की बात कहते हुए मुकदमे की पैरवी में आने का बयान दिया। वहीं पीड़िता किरन मिश्रा के अधिवक्ता विनोद मिश्रा ने बताया कि मामला कोर्ट के संज्ञान में लाया गया है। उन्हें भरोसा है कि अदालत दोषियों पर उचित कार्रवाई कर उनके पक्ष को न्याय देगी।

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