इस सम्बंध में जिलाधिकारी विवेक ने कहा कि यह सही है कि यहां और वहां की जनता को दो जिलों के चक्कर लगाने में काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जिला प्रशासन ने इस सम्बंध में शासन को कई बार पत्र भेजा है, जिसका अभी तक समाधान नहीं निकल पाया है। इसका निर्णय शासन स्तर पर होना है, इसलिए शासन का निर्देश मिलते ही मामले को सुलझा लिया जाएगा।
सुल्तानपुर जिले के पश्चिमी तथा उत्तरी पश्चिमी हिस्से को और रायबरेली जिले के पूर्वी भाग को काटकर बनाया गया अमेठी जिला भले ही सुचारू रूप से कार्य कर रहा हो, लेकिन दोनों जिलों के सीमावर्ती गांवों के लोगों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चाहे वह अमेठी जिले का मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र की पुलिस चौकी अलीगंज क्षेत्र के करीब 33 गांव हों या सुल्तानपुर जिले के हलियापुर व धमौर थाना क्षेत्र के दर्जनों गांव हों या फिर अमेठी जिले का पीपरपुर थाना क्षेत्र के दो दर्जनों से अधिक गांव हों, यहां के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि आपराधिक घटनाओं के मामले में यहां के लोगों को अमेठी पुलिस की मदद लेनी पड़ती है और जमीन जायदाद के मामलों में उन्हें सुलतानपुर जिले के अधिकारियों का मुंह देखना पड़ता है। यहां के लोगों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना तब करना पड़ता है जब किसी जमीन (राजस्व) के मामले में आपराधिक घटनाएं हो जाती हैं। जमीनी विवादों में हुई घटनाओं में दोनों जिलों के अधिकारियों द्वारा जनता को वहां- यहां कह कर मामले में लीपापोती की जाती है। जनता कभी अमेठी तो कभी सुल्तानपुर, रायबरेली का चक्कर लगाने को मजबूर रहती है।
सबसे पहले मायावती सरकार ने चुनाव में अमेठी की जनता से किये गए वादे के मुताबिक, सुलतानपुर जिले के पश्चिमी-दक्षिणी और उत्तरी-पश्चिमी भाग को काटकर तथा रायबरेली जिले के पूर्वी भाग को काटकर 21 मई 2003 को क्षत्रपति शाहूजी महाराज नगर के नाम से जिला बनाया था। बाद में मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे जिले को खत्म कर दिया था। हाईकोर्ट के डायरेक्शन में सीएसएम नगर साल 2010 में फिर अस्तित्व में आया और उसका मुख्यालय गौरीगंज बना। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव सरकार ने क्षत्रपति शाहूजी महाराज नगर का नाम बदलकर अमेठी कर दिया, लेकिन जिला मुख्यालय गौरीगंज बना रहा।