scriptExclusive : इन 125 गांवों का दर्द न राहुल दूर कर पा रहे और न ही वरुण गांधी | Amethi thousands villagers faces problem after district change | Patrika News

Exclusive : इन 125 गांवों का दर्द न राहुल दूर कर पा रहे और न ही वरुण गांधी

locationसुल्तानपुरPublished: Sep 22, 2018 06:17:34 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

दो जिलों के चक्कर में पि स रहे 125 गांवों के लोग, सुलतानपुर में तहसील तो अमेठी में है पुलिस थाना…

bantware ka dansh

दो जिलों के चक्कर में पि स रहे 125 गांवों के लोग, सुलतानपुर में तहसील तो अमेठी में है पुलिस थाना

राम सुमिरन मिश्र
सुलतानपुर. ब्रजभूषण त्रिपाठी (55) पुत्र शुभकरन त्रिपाठी का जिला मुख्यालय तो सुलतानपर है, लेकिन इनका थाना क्षेत्र अमेठी में पड़ता है। त्रिपाठी का गांव कुतुबपुर सुलतानपुर जिला मुख्यालय से मात्र 10 किमी दूर है, लेकिन पुलिस थाना अमेठी के पीपरपुर में लगता है। इनके कई सरकारी काम तो सुलतानपुर में होते हैं, लेकिन पुलिस से संबंधित काम अमेठी में होते हैं। शस्त्र लाइसेंस नवीनीकरण, पासपोर्ट और निवास प्रमाण पत्र बनवाने संबंधी इनके काम तो सुलतानपुर में होते हैं, पर थाने से लेकर एसपी तक की संस्तुति रिपोर्ट लगवाने के लिए अमेठी का चक्कर लगाना पड़ता। यह कोई अकेले ब्रजभूषण त्रिपाठी की समस्या नहीं है, बल्कि क्षेत्र के करीब 125 गांवों के लोगों को इसी परेशानी से दो-चार होना पड़ता है। दो जिलों के फेर में जनता फुटबॉल बनकर रह गई है। आपको बता दें कि सुलतानपुर बीजेपी सांसद वरुण गांधी का संसदीय क्षेत्र है, जबकि अमेठी राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र।
अखंड सुलतानपुर और रायबरेली जिले को काटकर बनाया गया अमेठी जिला लोगों को रास नहीं आ रहा है। अमेठी जिले के आस्तित्व में आने के बाद से सीमावर्ती गांवों के लोगों को सुविधाएं कम असुविधाएं ज्यादा उठानी पड़ रही हैं। यही कारण है कि करीब छह माह पहले पीपरपुर हलियापुर और धमौर थाना क्षेत्र के करीब 40 गांवों के लोगों ने इन गांवों को अमेठी जिले में शामिल नहीं किये जाने को लेकर कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार में पीपरपुर थाना क्षेत्र के दुर्गापुर, रामगंज, सोनारी, अग्रेसर, नगरडीह, भावापुर, भादर आदि के करीब 50 गांवों के लोगों ने इन गांवों को सुलतानपुर जिले में ही रहने देने के लिए महीनों प्रदर्शन किया था, लेकिन तत्कालीन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के हस्तक्षेप के कारण सफलता नहीं मिली थी। इसी तरह धमौर थाना क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों ने गांवों को सुल्तानपुर जिले में ही रहने देने के लिए प्रदर्शन किया था।
जिलाधिकारी बोले- शासन स्तर पर होगा निर्णय
इस सम्बंध में जिलाधिकारी विवेक ने कहा कि यह सही है कि यहां और वहां की जनता को दो जिलों के चक्कर लगाने में काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जिला प्रशासन ने इस सम्बंध में शासन को कई बार पत्र भेजा है, जिसका अभी तक समाधान नहीं निकल पाया है। इसका निर्णय शासन स्तर पर होना है, इसलिए शासन का निर्देश मिलते ही मामले को सुलझा लिया जाएगा।
कभी अमेठी तो कभी सुलतानपुर
सुल्तानपुर जिले के पश्चिमी तथा उत्तरी पश्चिमी हिस्से को और रायबरेली जिले के पूर्वी भाग को काटकर बनाया गया अमेठी जिला भले ही सुचारू रूप से कार्य कर रहा हो, लेकिन दोनों जिलों के सीमावर्ती गांवों के लोगों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चाहे वह अमेठी जिले का मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र की पुलिस चौकी अलीगंज क्षेत्र के करीब 33 गांव हों या सुल्तानपुर जिले के हलियापुर व धमौर थाना क्षेत्र के दर्जनों गांव हों या फिर अमेठी जिले का पीपरपुर थाना क्षेत्र के दो दर्जनों से अधिक गांव हों, यहां के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि आपराधिक घटनाओं के मामले में यहां के लोगों को अमेठी पुलिस की मदद लेनी पड़ती है और जमीन जायदाद के मामलों में उन्हें सुलतानपुर जिले के अधिकारियों का मुंह देखना पड़ता है। यहां के लोगों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना तब करना पड़ता है जब किसी जमीन (राजस्व) के मामले में आपराधिक घटनाएं हो जाती हैं। जमीनी विवादों में हुई घटनाओं में दोनों जिलों के अधिकारियों द्वारा जनता को वहां- यहां कह कर मामले में लीपापोती की जाती है। जनता कभी अमेठी तो कभी सुल्तानपुर, रायबरेली का चक्कर लगाने को मजबूर रहती है।
सबसे पहले मायावती ने बनाया था छत्रपति शाहूजी महाराज नगर
सबसे पहले मायावती सरकार ने चुनाव में अमेठी की जनता से किये गए वादे के मुताबिक, सुलतानपुर जिले के पश्चिमी-दक्षिणी और उत्तरी-पश्चिमी भाग को काटकर तथा रायबरेली जिले के पूर्वी भाग को काटकर 21 मई 2003 को क्षत्रपति शाहूजी महाराज नगर के नाम से जिला बनाया था। बाद में मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे जिले को खत्म कर दिया था। हाईकोर्ट के डायरेक्शन में सीएसएम नगर साल 2010 में फिर अस्तित्व में आया और उसका मुख्यालय गौरीगंज बना। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव सरकार ने क्षत्रपति शाहूजी महाराज नगर का नाम बदलकर अमेठी कर दिया, लेकिन जिला मुख्यालय गौरीगंज बना रहा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो