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अब थानों में पलेंगी मधुमक्खियां, ‘मधु मिशन’ से आत्मनिर्भर बनेंगे थाना-चौकी

locationसुल्तानपुरPublished: Jan 23, 2021 06:40:14 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सुलतानपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविन्द चतुर्वेदी ने शुरू किया मधु मिशन अभियान, कहा- इसका उपयोग थाने के कर्मियों एवं उनके परिवारों के कल्याण हेतु एवं थानों/चौकियों के सामान्य रख रखाव के लिए किया जाएगा

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जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने सुलतानपुर पुलिस के पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह भी राजस्व एवं विकास विभाग के परिसर में मधुमक्खी पालन पर विचार करेंगे।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर. पुलिसकर्मी अगर आपको मधुमक्खियों का पालन करते दिख जाएं तो हैरान मत होइएगा, क्योंकि सुलतानपुर जिले के थानों में अब मधुमक्खी पालन किया जाएगा। इसका उद्देश्य मधुमक्खी पालन से होने वाली आय से थानों और पुलिस चौकियों का ठीक ढंग से रखरखाव है। सुलतानपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविन्द चतुर्वेदी ने अभी जिले के दो थानों (कुडवार और धम्मौर) पर मधु मिशन की शुरुआत की है। इन थानों में 25-25 मधुमक्खी के डिब्बे रखवाये गये हैं। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि थानों पर मधुमक्खी पालन से होने वाली आय से थाने-चौकियों के रख रखाव की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की जा रही है। यह पुलिस विभाग में जनपद स्तर पर प्राइवेट फण्ड बना जाने की व्यवस्था है। जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने सुलतानपुर पुलिस के पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह भी राजस्व एवं विकास विभाग के परिसर में मधुमक्खी पालन पर विचार करेंगे।
एसपी डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि प्राइवेट फंड से प्राप्त धनराशि पुलिस लाइन्स/थानों के फुटकर कार्यों/पुलिस विभाग के कर्मचारियों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए व्यय की जाती है। बैण्ड फण्ड (जिन जनपदों/वाहनियों में बैण्ड उपलब्ध है), आटा चक्की फण्ड, पीसीओ फण्ड, आरओ प्लांट फण्ड, कैंटीन फण्ड आदि प्रचलित फण्ड हैं। इसका लाभांश स्थापित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए कर्मचारियों एवं उनके परिवार की सुख सुविधाओं में व्यय किया जाता है। उन्होंने बताया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा प्राइवेट फण्ड के रखरखाव हेतु नियम/निर्देश दिनांक 01.08.11 में एक गार्डन फण्ड भी है, जिसमें फलदार वृक्षों में फलों के विक्रय से, पुलिस भूमि पर की जाने वाली खेती से अथवा पुलिस भूमि के किसी व्यवसायिक उपयोग से होने वाली आय को अर्जित कर इस प्राइवेट फण्ड में जमा किया जा सकता है। इसका उपयोग थाने के कर्मियों एवं उनके परिवारों के कल्याण हेतु एवं थानों/चौकियों के सामान्य रख रखाव हेतु ही किया जाएगा।
मधुमक्खी के इन डिब्बों से शहद के अतिरिक्त तीन अलग-अलग बाई-प्रोडक्ट भी प्राप्त होते हैं, जिनमें बीजवैक्स, पोलन (मधुमक्खियों के पैर में लगा फूलों का पराग जो बहुत अधिक प्रोटीन युक्त होता है), परपोलिस (पेड़ के प्राकृतिक गोंद को मधुमक्खियां अपने डिब्बों के छिद्रों को सील करने के लिए लाती हैं, जो बहुत इम्युनिटी वर्धक होता है)।
45 दिन होती है मधुमखियों की उम्र
डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि पुलिस लाइन्स/थानों पर पाली जाने वाली मधुमक्खियां ‘एपिस मेलिफेरा’ (APIS MELLIFERA) नामक प्रजाति की हैं, जो पहली बार भारत में 1994 में कांगड़ा, हिमांचल प्रदेश में यूरोप से लायी गयी थीं, उसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी में इसके प्रजनन का शोध हुआ और धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत के मधुमक्खी पालकों ने इन्हें रखना शुरू किया। यह भी रोचक तथ्य है कि यह मधुमक्खियां अपने 45 दिन के अल्प जीवनकाल में तीन प्रमुख कार्य करती हैं। पहला, पांच दिन की मधुमक्खी नर्स-मधुमक्खी के रूप में डिब्बों में उपस्थित लार्वा को फीड कराती है। दूसरा, अगले 10 दिन तक मधुमक्खी डिब्बों के आस-पास चौकीदारी का काम करती है। तीसरा, 15 दिन की मधुमक्खी फ्रोजेन (FROZEN) के रूप में अपने डिब्बों से लगभग 05 किलोमीटर की परिधि से भोजन, नेक्टर तथा पोलन लाने का काम करती है। मधुमक्खी के पेट में दो भाग होते हैं, एक में वह स्वयं जीवित रहने के लिए खाना रखती है और दूसरे हनी स्टमक में नेक्टर रखती है, जिसे फ्रक्टोज, शुक्रोज और ग्लूकोज में विभाजित कर शहद तैयार करती है और अपने डिब्बे के ऊपरी भाग में शहद जमा करती है।

मधुमक्खीवाला ने दी सलाह
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बाराबंकी में ‘मधुमक्खीवाला’ नाम से विख्यात युवा उद्यमी निमित्त सिंह के साथ विमर्श करके उन्होंने सुलतानपुर में ‘मधु-मिशन’ की योजना बनाई है। निमित्त सिंह ने सुलतानपुर पुलिस के मधु मिशन को महात्वाकांक्षी योजना बताते हुए कहा कि इससे थाना/चौकी आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनेंगी। बताया कि वह पिछले 06 वर्षो से मधुमक्खी पालन से जुड़े रहे हैं और इससे होने वाले लाभों से परिचित हैं।

By- राम सुमिरन मिश्र

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