वरुण गांधी ने यह भी कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार पर काफी पैसा खर्च करती हैं। यही कारण है कि साधारण पृष्ठभूमि के लोगों को चुनाव लडऩे का अवसर ही नहीं मिल पाता। सुल्तानपुर सांसद वरुण गांधी ने यह बात नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ हैदराबाद में ‘भारत में राजनीतिक सुधारÓ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही।
गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए चुनाव लडऩा लगभग असंभव वरुण गांधी ने आगे कहा कि आयोग के पास चुनाव खत्म हो जाने के बाद केस दायर करने तक का अधिकार नहीं है। ऐसा करने के लिए उसे उच्चतम न्यायालय जाना पड़ता है। यूं तो सारी पार्टियां देर से रिटर्न दाखिल करती है, लेकिन समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करने को लेकर सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी (एनपीपी) जो दिवंगत लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की थी को अमान्य घोषित किया गया और आयोग ने उसकी ओर से खर्च रिपोर्ट दाखिल करने के बाद उसी दिन अपने फैसले को वापस ले लिया। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने चुनावी व्यवस्था में धनबल के अत्यधिक प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा कि गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए संसद और विधानसभाओं के चुनाव लडऩा लगभग असंभव सा हो गया है।
वरुण गांधी ने आगे कहा कि सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है चुनाव आयोग की समस्या जो वाकई एक दंतहीन बाघ है। संविधान का अनुच्छेद 324 कहता है कि यह (चुनाव आयोग) चुनावों का नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण करता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है। भाजपा सांसद वरुण गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब विपक्ष सत्ताधारी भाजपा पर आरोप लगा रहा है कि उ