तफ्तीश के दौरान किशोरी के साथ बलात्कार की भी पुष्टि हुई। इस मामले का विचारण एफटीसी प्रथम की अदालत में चला। इस दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को पेश किया, वहीं अभियोजन पक्ष से शासकीय अधिवक्ता तारकेश्वर सिंह ने नौ गवाहों को परीक्षित कराया। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात एफटीसी जज प्रभानाथ त्रिपाठी ने आरोपी शहनाज बानो के खिलाफ सबूत न होने के चलते उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया, वहीं आरोपी रुस्तम व उसकी पत्नी शायरा बानो को पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास और पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड एवं आरोपी सुंडुल उर्फ इस्लाम अहमद को दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए सात वर्ष के सश्रम कारावास व 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।