धुव्र नारायण के अधिवक्ता चन्द्र प्रकाश पांडेय ने रेनू को उसके पति के जरिये एक पत्नी की तरह साथ रखने एवं पति धर्म के दायित्वों का निर्वहन करने का विश्वास दिलाया। वर पक्ष ने यह भी कहा कि रेनू काफी पढ़ी लिखी है,उसके अंदर ऐसा हुनर है कि वह अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है। इन्हीं आधारों पर रेनू की मांग को जायज न होना बताते हुए याचिका खारिज किये जाने की मांग की।
वहीं पत्नी रेनू के अधिवक्ता ने धुव्र नारायण से गुजारे की रकम दिलाया जाना उचित बताते हुए अर्जी स्वीकार करने की मांग की। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात अपर प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट-आनन्द प्रकाश ने महिला की मांग को जायज न मानते हुए भरण-पोषण सम्बंधी अर्जी खारिज कर दी।