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न्यायालयों में बढ़ा मुकदमों का बोझ, कैसे मिले त्वरित न्याय?

locationसुल्तानपुरPublished: Aug 01, 2021 06:44:54 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

आंकड़ों के मुताबिक, सुलतानपुर जिले में वर्ष 2020 में 2 लाख 02 हजार 502 लाख मुकदमों की संख्या थी जो मई 2021 तक बढ़कर 2 लाख 10 हजार 326 तक पहुंच गई

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सुलतानपुर. कहते हैं कि देर से मिला न्याय भी न्याय नहीं कहलाता। न्यायालयों में बढ़ते मुकदमों के बोझ से न्याय व्यवस्था लगभग चरमरा गई है। सामाजिक ढांचे को बरकरार रखने में न्यायिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन मुकदमों की बढ़ती संख्या त्वरित न्याय पाने की आशाओं पर पानी फेर रही है। एक आंकड़े के अनुसार, जिलेभर में वर्ष 2020 में 2,02, 502 लाख मुकदमों की संख्या थी जो मई 2021 तक बढ़कर 2,10,326 तक पहुंच गई।
न्याय के लिए लोक अदालतों का सहारा
कोविड-19 के कहर के कारण अदालतों में कामकाज ठप पड़ गया था। अदालतें लगभग बन्द हो गई थीं। विधिक सेवा प्राधिकरण ही सक्रिय भूमिका निभा रहा था। कोरोना काल में 5 बार लोक अदालतों का आयोजन हुआ, जिसमें लोगों के बीच चल रहे विवादों में सुलह -समझौता से कुल 46 हजार 934 मामलों का निपटारा हुआ। इससे परेशान वादकारियों को काफी राहत मिली थी।
कोरोना काल में परिवारों में हुए ज्यादा विघटन
परिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश कुटुंब उत्कर्ष चतुर्वेदी कहते हैं कि कोरोना काल में जब सारी मशीनरी ठप थी, अदालतें कामकाज निपटा पाने में असहाय महसूस कर रही थीं। ऐसे समय में परिवारों में विवाद ज्यादा दिखाई दिये। ऐसे समय में पारिवारिक न्यायालय की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। पारिवारिक न्यायालय के चार जजों ने कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए लोगों के बीच चल रहे विवादों को सुलझाया।
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सिविल कोर्ट में हुआ लोक अदालत का आयोजन
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शशि कुमार ने कहा कि जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण से सब भयभीत थे। उसी दौरान जेल और सिविल अदालतों में लोक अदालत का आयोजन किया गया। वादकारियों के बीच लम्बे समय से चल रहे मामलों का सुलह समझौता से विवादों का निस्तारण हुआ। कोरोना काल में राष्ट्रीय लोक अदालत और माइक्रो लोक अदालतें लोगों को न्याय पाने का सहारा बनीं।
जिले में इतनी हैं अदालतें

जिला सत्र न्यायालय- 13
दंडाधिकारी- 07
सिविल अदालत- 22
कुटुंब न्यायालय- 04
क्लेम ट्रिब्यूनल- 01
विशेष अदालत- 06

विचाराधीन मुकदमों की संख्या
सत्र ट्रायल- 3778 केस
गैंगेस्टर एक्ट- 844
पाक्सो एक्ट- 1188
एमपी एमएलए कोर्ट- 26
सिविल मूल वाद- 52509
गुजारा भत्ता वाद- 4571
फौजदारी केस- 115149 केस
मोटर वाहन- 1530
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