न्याय के लिए लोक अदालतों का सहारा
कोविड-19 के कहर के कारण अदालतों में कामकाज ठप पड़ गया था। अदालतें लगभग बन्द हो गई थीं। विधिक सेवा प्राधिकरण ही सक्रिय भूमिका निभा रहा था। कोरोना काल में 5 बार लोक अदालतों का आयोजन हुआ, जिसमें लोगों के बीच चल रहे विवादों में सुलह -समझौता से कुल 46 हजार 934 मामलों का निपटारा हुआ। इससे परेशान वादकारियों को काफी राहत मिली थी।
कोविड-19 के कहर के कारण अदालतों में कामकाज ठप पड़ गया था। अदालतें लगभग बन्द हो गई थीं। विधिक सेवा प्राधिकरण ही सक्रिय भूमिका निभा रहा था। कोरोना काल में 5 बार लोक अदालतों का आयोजन हुआ, जिसमें लोगों के बीच चल रहे विवादों में सुलह -समझौता से कुल 46 हजार 934 मामलों का निपटारा हुआ। इससे परेशान वादकारियों को काफी राहत मिली थी।
कोरोना काल में परिवारों में हुए ज्यादा विघटन
परिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश कुटुंब उत्कर्ष चतुर्वेदी कहते हैं कि कोरोना काल में जब सारी मशीनरी ठप थी, अदालतें कामकाज निपटा पाने में असहाय महसूस कर रही थीं। ऐसे समय में परिवारों में विवाद ज्यादा दिखाई दिये। ऐसे समय में पारिवारिक न्यायालय की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। पारिवारिक न्यायालय के चार जजों ने कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए लोगों के बीच चल रहे विवादों को सुलझाया।
परिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश कुटुंब उत्कर्ष चतुर्वेदी कहते हैं कि कोरोना काल में जब सारी मशीनरी ठप थी, अदालतें कामकाज निपटा पाने में असहाय महसूस कर रही थीं। ऐसे समय में परिवारों में विवाद ज्यादा दिखाई दिये। ऐसे समय में पारिवारिक न्यायालय की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। पारिवारिक न्यायालय के चार जजों ने कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए लोगों के बीच चल रहे विवादों को सुलझाया।
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सिविल कोर्ट में हुआ लोक अदालत का आयोजन
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शशि कुमार ने कहा कि जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण से सब भयभीत थे। उसी दौरान जेल और सिविल अदालतों में लोक अदालत का आयोजन किया गया। वादकारियों के बीच लम्बे समय से चल रहे मामलों का सुलह समझौता से विवादों का निस्तारण हुआ। कोरोना काल में राष्ट्रीय लोक अदालत और माइक्रो लोक अदालतें लोगों को न्याय पाने का सहारा बनीं।
जिले में इतनी हैं अदालतें जिला सत्र न्यायालय- 13
दंडाधिकारी- 07
सिविल अदालत- 22
कुटुंब न्यायालय- 04
क्लेम ट्रिब्यूनल- 01
विशेष अदालत- 06 विचाराधीन मुकदमों की संख्या
सत्र ट्रायल- 3778 केस
गैंगेस्टर एक्ट- 844
पाक्सो एक्ट- 1188
एमपी एमएलए कोर्ट- 26
सिविल मूल वाद- 52509
गुजारा भत्ता वाद- 4571
फौजदारी केस- 115149 केस
मोटर वाहन- 1530
दंडाधिकारी- 07
सिविल अदालत- 22
कुटुंब न्यायालय- 04
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विशेष अदालत- 06 विचाराधीन मुकदमों की संख्या
सत्र ट्रायल- 3778 केस
गैंगेस्टर एक्ट- 844
पाक्सो एक्ट- 1188
एमपी एमएलए कोर्ट- 26
सिविल मूल वाद- 52509
गुजारा भत्ता वाद- 4571
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