लम्भुआ थाना क्षेत्र का है मामला
मामला लम्भुआ थाना क्षेत्र के गोथुआ जागीपुर-गोपालपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले आरोपी आसमान व उसके अज्ञात साथियों के खिलाफ 15 जुलाई 2017 की घटना बताते हुए राधेश्याम ने अपनी पुत्री का अपहरण कर लेने का आरोप लगाते हुए सीजेएम कोर्ट में केस दर्ज कराने को लेकर अर्जी दी है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दर्ज कराया था केस
तत्कालीन सीजेएम आशारानी सिंह ने मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर तफ्तीश के लिए आदेशित किया। जिसके उपरांत एक अगस्त 2018 को आरोपी आसमान व उसके चार अज्ञात साथियों के खिलाफ व्यपहरण एवं एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले की तफ्तीश क्षेत्राधिकारी लम्भुआ को मिली। कई महीनों तक इनकी तफ्तीश बेनतीजा रही।
नतीजतन लड़की के पिता ने पुलिसिया कार्रवाई से असंतुष्ट होकर स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट की अदालत में मानिटरिंग अर्जी दी। जिस पर संज्ञान लेते हुए कई पेशियों पर अदालत ने विवेचक से रिपोर्ट मांगी एवं आरोपियों की गिरफ्तारी व लड़की की बरामदगी के विषय में पूंछा, लेकिन विवेचक सीओ लम्भुआ विजय मल सिंह यादव ने अदालत को कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। स्पेशल जज ने मामले में विवेचक को केस डायरी के साथ तलब होने के लिए आदेशित किया था।
अदालत के आदेश पर तलब हुई थी केस डायरी
जिसके अनुपालन में विवेचक के जरिए केस डायरी व विवेचना से जुड़े अन्य अभिलेख अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए। पूरी तफ्तीश में अब तक विवेचक के जरिए मात्र अपहृता युवती की बरामदगी के लिए प्रयास जारी होने की बाते दर्शायी गई है। जबकि प्रयास किए जाने सम्बंधी बातों का समर्थन केस डायरी नहीं कर रही है। मुकदमा दर्ज हुए एक साल से भी अधिक का समय बीत चुका है। क्षेत्राधिकारी के जरिए कोर्ट में पेश किया गया अंतिम पर्चा बीते 28 अगस्त की तारीख का है। इसके बाद का कोई पर्चा नहीं पेश किया गया। विवेचक की इस कार्यशैली पर वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व एडीजीसी राम खेलावन यादव ने सवाल उठाते हुए कार्यवाही की मांग की।
कार्यवाही के लिए सूचित करने की दी चेतावनी
संज्ञान लेते हुए स्पेशल जज उत्कर्ष चतुर्वेदी ने निर्देशित किया कि बीते 28 अगस्त के बाद विवेचक के जरिए अपहृता की बरामदगी सम्बंधी कोई संतोषप्रद कार्यवाही की गई है तो उसे आगामी 19 सितम्बर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर पेश करें। ऐसा न किए जाने पर अदालत ने पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों से उनकी इस करतूत पर कार्यवाही के लिए सूचित करने की चेतावनी दी है। अदालत के कड़े रूख से क्षेत्राधिकारी लम्भुआ विजयमल सिंह यादव की मुश्किले बढ़ती नजर आ रही है।