14 नवंबर को चतुर्दशी तिथि पड़ रही है जो दोपहर 1:16 तक रहेगी। इसके बाद अमावस तिथि का आरंभ हो जाएगा जो 15 नवम्बर की सुबह 10 बजे तक रहेगी। 15 तारीख को केवल स्नान दान की अमावस्या ही रह जाएगी।
आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी ने बताया कि दीपावली पर विधिवत पूजा विशेष फल देने वाली है। सबसे पहले ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। मंत्र का उच्चारण करते हुए जल अपने आसन और अपने आप पर भी छिड़के। कलश पर एक नारियल रखें। नारियल लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि उसका अग्रभाग दिखाई देता रहे। यह कलश वरुण का प्रतीक है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर लक्ष्मी जी की अराधना करें।