शिकायती पत्र बयां करता है कि शबाना को गांव का ही एक लड़का परेशान किया करता था। परिजनों की शिकायत पर लड़के के घर वाले फौजदारी करने के लिए खड़े हो जाते थे। शबाना के पिता का कहना है कि बीते 10 जुलाई को उसकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी, जिसको लेकर एक नर्सिंगहोम गए हुए थे। घर में शबाना अकेली थी। दूसरे दिन जब सगीर अपनी पत्नी को लेकर घर पहुंचे तो शबाना का फांसी के फंदे से लटकता हुआ शरीर घर में मिला था। इसकी सूचना परिजनों ने स्थानीय पुलिस को दी थी। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को दफन करा दिया था।
सगीर ने पुलिस पर लगाया आरोप
मृतका के पिता सगीर ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस अभियुक्तों के साथ मिली हुई है, जिसके चलते दूसरे दिन मुझे थाने पर बुलाया गया और मैंने बेटी के मोबाइल को सबूत के तौर पर तहरीर के साथ पुलिस को दिया था, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय मुझे थाने से भगा दिया गया। चार माह बाद भी प्रयास करने के बाद जब पुलिस ने मामले को दर्ज नहीं किया तो पुलिस कार्यालय आकर अपर पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत त्रिपाठी से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है। आपको बता दें कि गोसाईंगंज थाने की पुलिस पर पहले भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
मृतका के पिता सगीर ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस अभियुक्तों के साथ मिली हुई है, जिसके चलते दूसरे दिन मुझे थाने पर बुलाया गया और मैंने बेटी के मोबाइल को सबूत के तौर पर तहरीर के साथ पुलिस को दिया था, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय मुझे थाने से भगा दिया गया। चार माह बाद भी प्रयास करने के बाद जब पुलिस ने मामले को दर्ज नहीं किया तो पुलिस कार्यालय आकर अपर पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत त्रिपाठी से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है। आपको बता दें कि गोसाईंगंज थाने की पुलिस पर पहले भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
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