scriptयहां 113 साल से विजयदशमी पर नहीं जलाया गया रावण का पुतला, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान | Here Ravana puppet was not burned from 113 years | Patrika News

यहां 113 साल से विजयदशमी पर नहीं जलाया गया रावण का पुतला, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

locationसुल्तानपुरPublished: Oct 20, 2018 03:25:46 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

दीपावली के पूर्व आने वाले रविवार को यहां के लोग मिल-जुलकर रावण का दहन करते हैं।
 

Ravan

यहां 113 साल से विजयदशमी पर नहीं जलाया गया रावण का पुतला, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

सुलतानपुर. जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में 40 से अधिक स्थानों पर रामलीला मंचन के बाद रावण के पुतले का दहन विजयादशमी के दिन होता है, लेकिन इस परम्पराओं के इतर भदैया ब्लाक के विकवाजितपुर गांव का रावण विजयदशमी के सोलहवें दिन यानि दीपावली के पर्व पर जलाया जाता है।
दो दिनी होती है रामलीला
भदैया ब्लॉक के बिक़वाजितपुर गांव में रामलीला केवल दो दिन चलती है। भरत मिलाप के पूर्व सभी जाति-संप्रदाय और वर्ग के मतभेदों को भुलाकर रामलीला के मंचन की तैयारी में शामिल होते हैं। यहां की रामलीला देखने के लिए प्रदेश के कोने -कोने से लोग आते हैं।
आखिर क्यों नहीं जलता है दशहरे पर रावण
जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर भदैया ब्लाक के विकवाजितपुर गांव में दीपावली के पहले वाले रविवार को होने वाले मेले में रामलीला का मंचन कर रावण के पुतले का दहन क्यों किया जाता है और क्यों नहीं दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता। इस बारे में बिक़वाजितपुर गांव निवासी 90 वर्षीय रघुनाथ प्रसाद लाल श्रीवास्तव बताते हैं कि इस मेले को 1905 में गांव के स्वर्गीय कुंवर बहादुर लाल श्रीवास्तव ने शुरू किया था। गांव में रामलीला मंचन के कार्यक्रम में अपेक्षित भीड़ न जुटने के कारण स्वर्गीय कुंवर बहादुर लाल ने विचार किया कि चूँकि दशहरे के दिन पूरे जिले में रामलीला मंचन के पश्चात रावण के पुतले का दहन होता है, इसलिए अपेक्षित दर्शक वर्ग नहीं आ पाता।
इससे पूर्व रामलीला का मंचन होता है

इसलिए उन्होंने विचार किया कि जिस दिन भगवान राम लंका विजय कर वापस अयोध्या आये थे, उस दिन रावण के पुतले का यहां दहन किया जाएगा।। तभी से यहां दशहरे के लगभग 20 दिन बाद रावण के पुतले का दहन किया जाने लगा। दीपावली के पूर्व आने वाले रविवार को यहां के लोग मिल-जुलकर रावण का दहन करते हैं। इससे पूर्व रामलीला का मंचन होता है, जिसमें पूरे गांव, पूरे क्षेत्र तथा जिले के कोने-कोने से लोग रामलीला तथा रावण दहन देखने आते हैं।
113 साल से हो रही रामलीला
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक रामलीला मंचन विजयादशमी के दिन गांव के लोग एकत्र नहीं हो पाते थे, इसलिए सब ने 113 साल पूर्व यह तय किया कि वे सब यहां दीपावली के पूर्व रामलीला का मंचन कराते हुए बुराई के प्रतीक रावण का दहन करेंगे। भगवान राम के राज्याभिषेक का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाएंगे। 113 साल से चला आ रहा रामलीला का कार्यक्रम आज भी जारी है।
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