जमानत आदेश को मिले चुनौती संबंधी प्रकरण को जिला जज ने अपर जिला जज प्रथम की अदालत पर ही सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया। जमानत आदेश में क्रिमिनल हिस्ट्री न दर्शाये जाने के पीछे आशु लिपिक गनेश कुमार पाठक ने लिपिकीय त्रुटि की वजह बताई एवं अपनी गलती भी मानी। वहीं, शासकीय अधिवक्ता तारकेश्वर सिंह ने अपने तर्कों को पेश कर जमानत आदेश को निरस्त करने की मांग की एवं क्रिमिनल हिस्ट्री रहने पर बेल न दिए जाने के समर्थन में विधि व्यवस्था भी पेश किया। वहीं बचाव पक्ष ने अदालत के पूर्व आदेश को जायज बताते हुए जमानत कैंसिलेशन अर्जी खारिज करने की मांग की । उभय पक्षों को सुनने के पश्चात सत्र न्यायाधीश रामपाल सिंह ने आशु लिपिक की त्रुटि एवं दोनों पक्षों के तर्कों को दृष्टिगत रखते हुए पूर्व में पारित अपने जमानत आदेश को जायज मानते हुए जमानत कैंसिलेशन अर्जी खारिज कर दी । अदालत के इस आदेश से सरकार पक्ष को गहरा झटका लगा है। इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता तारकेश्वर सिंह का कहना है कि अदालत के आदेश का अवलोकन कर इसे चुनौती देने पर विचार किया जायेगा। अब देखना है कि हिस्ट्रीशीटर की जमानत को चुनौती देने वाला अभियोजन पक्ष अदालत के इस आदेश को बड़ी अदालत में चुनौती देता है या फिर अपनी हार में ही संतोष कर चुप बैठ जाता है।