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अब गवाहों को धमकाया तो खैर नहीं, जानें- क्या है विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम

locationसुल्तानपुरPublished: Aug 20, 2019 05:41:43 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– आपराधिक मुकदमों की सुनवाई के दौरान गवाहों की सुरक्षा नहीं होने से उनकी जान का खतरा बना रहता है- विटनेस प्रोटक्शन स्कीम से गवाहों को मिलेगी सुरक्षा

Witness Protection Scheme

अब गवाहों को धमकाया तो खैर नहीं, जानें- क्या है विटनेस प्रोटक्शन स्कीम

सुल्तानपुर. हत्या, दुष्कर्म, डकैती जैसे गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े गवाहों को धमकाने वाले अपराधियों की अब खैर नहीं होगी। विटनेस प्रोटक्शन स्कीम लागू हो जाने से संगीन अपराधों से संबंधित गवाहों को सुरक्षा दी जाएगी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित होने वाली स्टैंडिंग कमेटी गवाहों को सुरक्षा देने का मानक तय करेगी। माना जा रहा है कि ऐसा होने से गवाहों के मुकर जाने की प्रवृत्ति में कमी आएगी। ऐसा होने से गवाहों को होस्टाइल कराकर अपराधियों के बरी होने में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
आपराधिक मुकदमों की सुनवाई के दौरान गवाहों की सुरक्षा नहीं होने से उनकी जान का खतरा बना रहता है। गवाहों को सुरक्षा नहीं मिलने से उनके होस्टाइल हो जाने की आशंका बढ़ जाती है। कई बार तो देखने को मिलता है कि धनबल व बाहुबल के सहारे अपराधी गवाहों को धमका कर उन्हें गवाही देने से मुकरने के लिए मजबूर कर देते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर देश की शीर्षस्थ अदालत ने वर्ष 2018 में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने महेंद्र चावला व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य की सुनवाई करने के बाद पांच दिसंबर 2018 को पारित निर्णय में गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश सरकार को दिया था।
स्टैंडिंग कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में जिले में सक्षम प्राधिकारी के रूप में स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश करेंगे। इसमें जिलाधिकारी/अभियोजन प्रमुख और पुलिस अधीक्षक सदस्य बनाए गए हैं। हत्या, दुष्कर्म, डकैती जैसे गंभीर प्रकृति के गवाहों के साथ ही अन्य आपराधिक मुकदमों के गवाहों को सुरक्षा दिलाई जाएगी। स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष संबंधित गवाहों को सुरक्षा के लिए आवेदन करना होगा। कमेटी पूरे मामले की जांच करने के बाद गवाह को सुरक्षा देने का आदेश जारी करेगी। गवाहों को सुरक्षा मिलने के निर्णय से अब उन्हें धमकाने वाले की खैर नहीं होगी। गवाहों को धमकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसा होने से गवाहों के होस्टाइल होकर गवाही देने से मुकर जाने की प्रवृत्ति में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधी सजा से नहीं बच पाएंगे। कोतवाली नगर के रामनगर कोट निवासी फौजी अजय प्रताप सिंह की हुई हत्या का मुकदमा उनके सगे भाई अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह ने दर्ज कराया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान विजय प्रताप सिंह की कोर्ट में पैरवी करते थे और उन्होंने गवाही भी दी थी। इससे उनकी रंजिश फौजी हत्याकांड के अभियुक्तों से बढ़ गई थी। करीब दो साल पूर्व कोर्ट आते समय विजय प्रताप सिंह की रास्ते में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा कई अन्य आपराधिक केस से जुड़े गवाहों की या तो हत्या को गई है अथवा उन पर हमला करके उन्हें गवाही नहीं देने के लिए मजबूर किया जाता रहा है।
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