मामला है अमेठी जिले के पीपरपुर थाना क्षेत्र का जहां इसी थाना क्षेत्र के भेंवई गांव निवासी क्षेत्र पंचायत सदस्य अरविन्द पाण्डेय के भाई राजकुमार पाण्डेय ने वर्ष 2016 में जानलेवा हमले के मामले में सुरेश कुमार, जितेन्द्र उर्फ हिटलर, राम प्रसाद, व रवीन्द्र पाण्डेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें आरोपी सुरेश की जमानत न्यायालय से हो चुकी थी और मुकदमे का न्यायालय में ट्रायल चल रहा था। इस मुकदमे का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि सुरेश के अलावा शेष तीनों अभियुक्तों के खिलाफ विवेचना प्रचलित थी। तीनों अभियुक्तों में से एक रवीन्द्र पाण्डेय का विवेचक दरोगा ने बचाते हुए जितेंन्द्र उर्फ हिटलर व राम प्रसाद के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र (चार्जसीट) दाखिल कर दिया, लेकिन विवेचक दरोगा ने अभियुक्तों के कालम में सुरेश का नाम एक बार फिर डाल दिया, इससे अदालत ने पेशी पर हाजिर न होने के कारण सभी अभियुक्तों के खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानतीय वारण्ट जारी कर दिया था। देखने वाली अब बात यह है कि पुलिस के हत्थे सिर्फ सुरेश चढ़ा, जिसने न्यायालय से जमानत करा ली थी। न्यायालय में जमानत अर्जी पड़ते ही मामले का खुलासा हो गया, तो अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम अनुराग कुरील ने अभियुक्त सुरेश के खिलाफ जारी वारण्ट निरस्त कर दिया और दरोगा के खिलाफ कड़ा रूख अपनाते हुए उसके विरूद्ध कारण बताओ नोटिस जारी कर 31 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में हाजिर होेने का आदेश दे दिया।