जिले में किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करते हैं । कुछ किसान तो धान व गेहूं की परम्परागत खेती सिर्फ परिवार का खर्च चलाने के लिए ही कर रहे हैं ,बाकी बचे खेतों में वह सिर्फ सब्जियों की खेती करते हैं । किसानों को सब्जी की खेती में जो मुनाफा मिलना चाहिए वह बिचौलिए ले रहे हैं । वह नफा किसानों को नहीं मिल पा रहा है । इसकी खास वजह यह माना जा रहा है कि किसान अपने खेत की उपज फुटकर बाजार में बैठकर बेंच नहीं सकता है । यदि ऐसा करता है तो खेती का नुकसान हो जाएगा।
यह भी पढ़ें - क्या है अक्षय पात्र योजना जिसे देखने काशी आने वाले हैं पीएम Modi सब्जी को रोज मंडी में पहुंचाते हैं जिले की सबसे बड़ी मंडी नवीन कृषिमंडी अमहट शहर से सटे अमहट में लगती है। सब्जी की खेती करने वाले किसान अपनी उपज को बाजार की मंडी में भेज देते हैं। किसान सब्जी को रोज मंडी में पहुंचाते हैं। वहां जो रेट आढ़तियों द्वारा निर्धारित रहता है ,उसी भाव में बेंच कर चले जाते हैं। थोक मंडी से बिचौलिए सब्जी को छोटे व्यापारियों के हवाले कर देते हैं और घर बैठे दोगुना से ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। किसानों के खेत में तैयार होने वाली सब्जी की पैदावार का काफी मुनाफा बिचौलिए व फुटकर व्यापारी ही उठा रहे हैं। इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है । किसानों के खेत से सस्ते में बिकने वाली सब्जी बाजार में पहुंचते-पहुंचते डेढ़ से दोगुना भाव ज्यादा में बेची जा रही है । सब्जी की खेती करने वाले जयसिंहपुर के किसान रवि प्रकाश एक एकड़ से ज्यादा खेत में कदुआ भिंडी की खेती किए हैं । वह कहते हैं कि मंडी और बाजार के रेट में सब्जियों का भाव हमेशा डेढ़ से दोगुना का अंतर रहता है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है और बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। इस तरफ सरकार और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
सब्जी थोक भाव फुटकर भाव लौकी 16 रुपये 30 रुपये
कद्दू 15 रुपये 25 रुपये
भिंडी 25 रुपये 40रुपये
मिर्चा 40रुपये 70रुपये
पालक 10रुपये 20रुपये
बैंगन 25रुपये 40रुपये
खीरा 18रुपये 30रुपये
टमाटर 15 रुपये 45रुपये
कद्दू 15 रुपये 25 रुपये
भिंडी 25 रुपये 40रुपये
मिर्चा 40रुपये 70रुपये
पालक 10रुपये 20रुपये
बैंगन 25रुपये 40रुपये
खीरा 18रुपये 30रुपये
टमाटर 15 रुपये 45रुपये