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करीब दो दशक पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट ने डीके बसु तथा पीपुल्स लिबर्टी ऑफ इंडिया के केस में किसी को भी हथकड़ी पहनाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस को यह छूट दी थी कि अभ्यस्त अपराधी या वह अपराधी जिसके पुलिस हिरासत से फरार होने का खतरा हो, उन अपराधियों को हथकड़ी में जकड़ सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी कहते हैं कि मानवाधिकार की रक्षा के मुकाबले जीवन रक्षा बेहद जरूरी है।
करीब दो दशक पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट ने डीके बसु तथा पीपुल्स लिबर्टी ऑफ इंडिया के केस में किसी को भी हथकड़ी पहनाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस को यह छूट दी थी कि अभ्यस्त अपराधी या वह अपराधी जिसके पुलिस हिरासत से फरार होने का खतरा हो, उन अपराधियों को हथकड़ी में जकड़ सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी कहते हैं कि मानवाधिकार की रक्षा के मुकाबले जीवन रक्षा बेहद जरूरी है।