scriptधान-गेहूं की खेती से तौबा, तरबूज-खरबूज की खेती से जमकर मुनाफा कमा रहे किसान | Paddy wheat Farming left watermelon melon kheti farmers huge profits | Patrika News

धान-गेहूं की खेती से तौबा, तरबूज-खरबूज की खेती से जमकर मुनाफा कमा रहे किसान

locationसुल्तानपुरPublished: May 10, 2022 10:39:14 am

धान-गेहूं जैसी पारम्परिक खेती को छोड़ तरबूज और खरबूज की खेती क्षेत्र के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। बड़ेे पैमाने पर खेती कर किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत खेती की तुलना में लाभ अधिक होने से फल-सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है।

धान-गेहूं की खेती से तौबा, तरबूज-खरबूज की खेती से जमकर मुनाफा कमा रहे किसान

धान-गेहूं की खेती से तौबा, तरबूज-खरबूज की खेती से जमकर मुनाफा कमा रहे किसान

धान-गेहूं जैसी पारम्परिक खेती को छोड़ तरबूज और खरबूज की खेती क्षेत्र के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। बड़ेे पैमाने पर खेती कर किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत खेती की तुलना में लाभ अधिक होने से फल-सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। जिले के धनपतगंज क्षेत्र सेवरा व देवरा गांव के किसान कुछ वर्षों के दौरान दर्जनों बीघा खेतों में तरबूज और खरबूज की खेती कर रहे हैं। इन खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में भारी सुधार हुआ। और वे सभी धनी हो रहे हैं।
लागत निकल गई अब तो सिर्फ मुनाफा हो रहा

ग्राम पूरे पंडित तलिया सेवरा ऐंजर निवासी चंद्रशेखर उपाध्याय 13 साल से बड़े पैमाने पर सब्जियों एवं फलों की खेती करते चले आ रहे हैं। इस खेती से उन्हें अच्छा फायदा हो रहा है। कभी-कभी मौसम के साथ नहीं देने से कुछ नुकसान भी उठाना पड़ता है। खेती से आमदनी बढ़ाने की कोशिश में लगे चंद्रशेखर ने इस बार आठ बीघा खेत में ताइवान तरबूज और खरबूज की फसल उगाई है। चंद्रशेखर बताते हैं कि आठ बीघा में तरबूज और खरबूज की लागत करीब दो लाख रुपए आई है। अप्रैल में तरबूज और खरबूज के पौधों में फल आने शुरू हो गए थे।
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किसानों की बल्ले-बल्ले

किसान चन्द्रशेखर ने बताया कि, अप्रैल के अंतिम सप्ताह से खेत से ही फलों की बिक्री होने लगती है। चंद्रशेखर ने बताया कि, तरबूज व खरबूज की लागत निकल गई है। अब मुनाफा हो रहा है। सेवरा एंजर गांव के अवधेश पांडेय ने तीन बीघे में तरबूज व खरबूज की बोआई कराई थी। अवधेश बताते हैं कि, तीन बीघे में 60 हजार रुपए का खर्च आया था। अभी तक 85 हजार रुपए का तरबूज व खरबूज बिक चुका है। खेत से प्रतिदिन तरबूज व खरबूज की बिक्री हो रही है। इसी तरह देवरा गांव के किसान चंद्रनाथ पांडेय ने भी पांच बीघे में तरबूज व खरबूज लगाया था। उन्होंने भी तरबूज व खरबूज की खेती में खर्च की गई रकम को निकाल लिया है। अब तो सिर्फ उन्हें मुनाफा ही मिल रहा है।
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पारम्परिक खेती को छोड़ मुनाफे वाली खेती की

किसान चंद्रशेखर बताते हैं कि, सबसे पहले उन्होंने उद्यान विभाग से अनुदान पर मिलने वाले केले की खेती से शुरुआत की थी। उद्यान विभाग के विशेषज्ञ की समय-समय पर मिलने वाली सलाह से चंद्रशेखर ने केले की खेती में मुनाफा हासिल किया। इससे मिलने वाले लाभ ने उन्हें अपने खेतों में दूसरे फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस बार आठ बीघा खेत में तरबूज व खरबूज की खेती की है। पैदावार और बाजार भाव को देखते हुए चंद्रशेखर को इस खेती से अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है।
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