सुल्तानपुर

शौचालय निर्माण से परेशान हुए लोग, कहीं छत नहीं तो कहीं दरवाजे का अभाव

– ग्रामीणों का आरोप सही ढंग से नहीं बने शौचालय
– कहीं दीवार तो कहीं छत और दरवाजे का अभाव
– प्रधान और ठेकेदार पर घोटाले का आरोप

सुल्तानपुरJun 14, 2019 / 01:40 pm

Karishma Lalwani

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सुलतानपुर. खुले में शौच से मुक्ति के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम प्रयास कर रही है, बावजूद इसके न तो निर्माण प्रक्रिया की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है न ही पात्रों तक योजना पहुंच पा रही है। आलम यह है कि शौचालय पर दरवाजा लगाए बिना ओडीएफ का कागजी कोरम पूरा कर लिया गया है तो कहीं बिना नींव के ही शौचालयों को तैयार कर लिया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की महत्वपूर्ण योजना को खुद उनके ही जिम्मेदार पलीता लगाने से नहीं चूक रहे ह। ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के बड़े-बड़े दावे हैं, जिन घरों में पहले से ही शौचालय बने हैं, जिम्मेदार अफसर और ग्राम प्रधान उनकी वीडियोग्राफी कर वाहवाही लूट रहे हैं। बने शौचालयों में कहीं गड्ढे नहीं, तो कहीं बगैर छत के बने हैं। दीवार और सीट भी ठीक ढंग से नहीं बनी है।
शौचालय में जाने लायक नहीं

अमेठी में शौचालय निर्माण की स्थिति से परेशान ग्रामीण रामकली का कहना है कि उनके घर बने शौचालय में जाने लायक नहीं है। बहुत परेशानी होती है और बारिश के दौरान परेशानी बढ़ जाती है। इस मामले को प्रधान तक भी पहुंचाया गया मगर वे दूसरे आदमी की बात कह कर चले गए। दूसरे आदमी ने इसे बनवाया तो वो लीप पोतकर चले गए। शौच इस तरह बना है कि एक लात मार दो तो दीवार गिर जाए। शौच सुविधा होने के बाद भी उन्हें बाहर जाना पड़ता है। इस गंभीर विषय पर अधिकारी देवेंद्र सिंह ने अमेठी के लोगों को जांच कराने की बात कहकर आश्वासित किया। उन्होंने कहा कि एक-एक शौचालय की जांच होगी।
ऐसा ही हाल सुलतानपुर जिले का भी है। 2 अक्टूबर को सुलतानपुर जिले को ओडीएफ घोषित होना है। इसके लिए शौचालय निर्माण का काम हो रहा है। जिले के लंभुआ विकास खंड के शंकरपुर गांव में मात्र 250 ईटों से शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया है वह भी सिर्फ 250 ईंटों में और बिना नींव के। इनमें सीमेंट की जगह बालू का इस्तेमाल कर शौचालय निर्माण किया जा रहा। ग्रामीणों का आरोप है कि शौचालय निर्माण के लिए प्रधान और सेक्रेटरी पैसों की मांग करते हैं। पैसा न मिलने पर उन्हें ओडीएफ योजना का चेक नहीं दिया जाता। गांव निवासी रामसरन का आरोप है कि प्रधान और ठेकेदारों मे उनकी ही ईंट से बिना नींव के शौचालय बनवा दिया। शौचालय ऐसा कि उसमें जाना मुश्किल है। किसी में छत नहीं
तो कहीं पर छत और दरवाजे दोनों नहीं बने।
ऐसे किया जा रहा घोटाला

गांवों को ओडीएफ मुक्त करने के लिए ठेकों के सहारे से शौचालय निर्माण किया जाता है। ठेकों से बनने वाले शौंचालयों में बिना नींव के शौचालय निर्माण से लोग परेशान हैं। लोगों का कहना है कि घरों में शौचालय निर्माण कर जिम्मेदार और प्रधान उसकी वीडियोग्राफी कर उसे सरकारी काम बताकर रुपये हड़पते हैं।
30 जून तक 15 हजार शौचालय बनवाने का लक्ष्य

स्वच्छ भारत मिशन के तहत लखनऊ के 570 ग्राम पंचायतों में 30 जून तक 15 हजार शौचालय निर्माण का अल्टीमेटम है। इस संबंध में डीएम कौशलराज शर्मा के निर्देश पर सात जून से लेकर 13 जून तक समीक्षा बैठक चली थी। बैठक में सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना से छूटे 32,640 लाभार्थी और चिह्नित किए गए थे। चिन्हित किए गए स्थानों में से अब तक 17 हजार शौचालय बन चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंत तक शौचालय निर्माण पूर्ण करवाए जाने का लक्ष्य रखा गया था। समय से काम न पूरा होने पर 49 अफसरों के खिलाफ सीडीओ स्तर से कार्रवाई की जा चुकी है।
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