सबकुछ जानती थी पुलिस 8 अगस्त को प्रमुख आरोपी अदालत में पेश होने थे। पुलिस यह बात जानती थी लेकिन गिरफ्तारी के प्रयास नहीं किए गए। आरोपी आराम से आए, अदालत में जाकर आत्मसमर्पण किया, जेल चले गए। पुलिस को भनक तब लगी जब आरोपी अदालत पहुंच चुके थे। इस मामले में पुलिस पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। जिले की पुलिस ने रिमांड पर लेने का भी प्रयास नहीं किया।
यह पहला मौका नहीं है पुलिस की नाकामी का देखा जाए तो यह पहला मौका नहीं है जब पुलिस नाकाम हुई है। अखंडनगर का राहुल नगर कांड इसका उदाहरण है। इस घटना में भी आरोपी अदालत तक पहुंचने में कामयाब हुए थे। पालिका के कर लिपिक इबरार की कोतवाली नगर के ईदगाह के करीब भीड़भाड़ वाले इलाके में सरेआम गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस गिरफ्तारी का दावा करती रही, आरोपी अदालत पहुंच गए। पालिका के जलकल विभाग के ही कर्मचारी अजीत की हत्या कोतवाली नगर के सोल्जर बोर्ड चौराहे पर की गई थी। इस जघन्य हत्याकांड में भी पुलिस आरोपियों को पकड़ने में नाकामयाब रही थी। आरोपियों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया। ऐसी दर्जनों घटनाएं हैं जहां पुलिस को चकमा देकर अपराधी अदालत तक पहुंचने में कामयाब रहे। आलोक आर्य पर हमले के मामले में भी पुलिस के दावे कागजों तक सीमित रहे। पुलिस गिरफ्तारी का प्रयास करते हुए भी नहीं दिखी। इसी के साथ पुलिस उन अपराधियों को भी नहीं पकड़ पाई, जो सीसीटीवी कैमरों में वारदात को अंजाम देते कैद हो गए।