आचार्य डॉ. शिवबहादुर तिवारी ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन बहनों को मेहंदी रचे हाथों से भाइयों को तिलक कर दाहिनी कलाई पर राखी बांधनी चाहिए। ज्योतिशास्त्र के मुताबिक, भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधना ही शुभ होता है। बहनों को भाइयों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधते समय हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके राखी बांधनी चाहिए और भाइयों का मुंह हमेशा पूरब की दिशा में ही होना चाहिये। ऐसा करने से शुभ फलकारक होता है।
आचार्य तिवारी ने बताया कि भाई को तिलक और राखी बांधते समय बहनों को ‘येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचल।’ मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है। राखी को बांधने के बाद भाई की आरती उतारना और मीठा खिलाना उत्तम माना गया है। राखी बांधते समय भाई को पीढ़े पर ही बैठाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करना भाई-बहनों के लिए लाभकारी होता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस बार रक्षाबंधन पर महासंयोग के कारण भाई-बहनों को विशेष लाभ मिलेंगे।
आचार्य ने बताया कि बहनों को भाइयों की कलाई में काले रंग का धागा, टूटी या खंडित राखी, प्लास्टिक की राखी और अशुभ चिन्हों वाली राखी नहीं बांधनी चाहिए। माना जाता है कि अगर कोई बहन इस तरह की राखी अपने भाई को बांधती है तो भाई-बहन दोनों को भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।
आचार्य तिवारी ने बताया कि सावन के आखिरी सोमवार को ही पूर्णिमा तिथि है। इस दिन चंद्रमा के मकर राशि में होने से प्रीति योग बन रहा है। यह शुभ संयोग सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा। पूर्णिमा और सोमवार और रक्षाबंधन के इस अद्भुत संयोग को सौम्या तिथि माना जाता है। मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती धरती का भ्रमण करने के साथ ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।