हिन्दू पंचांग में श्रावण का महीना साल का पांचवां महीना होता है। इसे सावन माह के नाम से जाना जाता है। यह महीना 6 जुलाई के प्रारंभ हुआ है और 3 अगस्त को यह समाप्त होगा। धार्मिक दृष्टि से देखें तो सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इस महीने भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनके भक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। महिलाओं द्वारा सावन के सोमवार का व्रत करने से उनके पतियों की आयु लम्बी होती है और अविवाहित लड़कियों द्वारा सावन के सोमवार का व्रत करने से उनको मनपसंद जीवन साथी मिलता है।
आचार्य डॉ तिवारी ने बताया कि भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से लोगों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि सृष्टि को बचाने के लिए देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले विष को शिवजी ने पी लिया था। इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी। भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी। कहते हैं कि यह घटना सावन माह में घटी थी।
इस बार सावन में पांच सोमवार
आचार्य तिवारी बताते हैं कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। इस साल सावन में अद्भुत संयोग बन रहा है। श्रावण माह की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार के दिन होगा। सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 जुलाई को, तीसरा 20 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को और पांचवां व अंतिम सोमवार 3 जुलाई को पड़ रहा है। इसी दिन सावन माह भी समाप्त होगा।
शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने किया था कठोर तप
सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। सावन के महीने में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पर भवानी सती का पार्वती के रूप में दोबारा जन्म हुआ था। देवी पार्वती ने भगवान शिव को दोबारा से अपना पति बनाने के लिए सावन के महीने में ही कठोर तपस्या की थी। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती की मनोकामना को पूरा करते हुए उनसे विवाह किया था। सावन के महीने में ही भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को पत्नी माना था ,इसलिए भगवान शिव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय होता है।
आचार्य तिवारी बताते हैं कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। इस साल सावन में अद्भुत संयोग बन रहा है। श्रावण माह की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार के दिन होगा। सावन में इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 जुलाई को, तीसरा 20 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को और पांचवां व अंतिम सोमवार 3 जुलाई को पड़ रहा है। इसी दिन सावन माह भी समाप्त होगा।
शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने किया था कठोर तप
सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। सावन के महीने में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पर भवानी सती का पार्वती के रूप में दोबारा जन्म हुआ था। देवी पार्वती ने भगवान शिव को दोबारा से अपना पति बनाने के लिए सावन के महीने में ही कठोर तपस्या की थी। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती की मनोकामना को पूरा करते हुए उनसे विवाह किया था। सावन के महीने में ही भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को पत्नी माना था ,इसलिए भगवान शिव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय होता है।
यह भी मान्यता
दूसरी मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तब समुद्र से विष का घड़ा निकला था। लेकिन इस विष के घड़े को न ही देवता और न ही असुर लेने को तैयार हो रहे थे। तब विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए और समस्त लोकों की रक्षा करते हुए भगवान शंकर ने इस विष का पान किया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ता जा रहा था तब सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी से सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। 6 जुलाई 2020 को सावन का पहला सोमवार है। ऐसे में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें ,फिर शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्रों चढ़ाएं। अन्य दूसरी पूजा-सामग्री से शिवलिंग का श्रृंगार करें।
दूसरी मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तब समुद्र से विष का घड़ा निकला था। लेकिन इस विष के घड़े को न ही देवता और न ही असुर लेने को तैयार हो रहे थे। तब विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए और समस्त लोकों की रक्षा करते हुए भगवान शंकर ने इस विष का पान किया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ता जा रहा था तब सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी से सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। 6 जुलाई 2020 को सावन का पहला सोमवार है। ऐसे में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें ,फिर शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्रों चढ़ाएं। अन्य दूसरी पूजा-सामग्री से शिवलिंग का श्रृंगार करें।