कोरोना महामारी ने लोगों की जीवनशैली बदल दी है और लोगों के जीवन सफर को एक नया मोड़ दिया है। कोविड-19 ने शहर से लेकर गांवों की गलियों तक आम लोगों से लेकर खास लोगों तक अंग्रेजी के शब्दों का नया तानाबाना बुना है कि इसके पहले कभी भी नहीं सुनें गए ये दो दर्जन से अधिक अंग्रेजी के शब्द लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं। पढ़े-लिखे लोगों से लेकर अनपढ़ लोगों की जुबान पर ये शब्द उनकी आम बोलचाल की भाषा में शामिल हो गए हैं।
विकासखण्ड भदैया के ग्राम लोदीपुर के निवासी श्यामलाल पढ़े- लिखे नहीं हैं और कहीं हस्ताक्षर करने की जरूरत पड़ने पर अंगूठा दिखाते नजर आते हैं, लेकिन बेटे के बाहर से घर पहुंचने पर वे बेटे शंकरलाल को सेनेटाइज होने की सलाह देते हैं और लॉकडाउन के पालन करने की उचित सलाह देते हैं। इससे इन अंग्रेजी के शब्दों की लोकप्रियता खुद-ब-खुद समझ में आ जाती है। जिले के वरिष्ठ साहित्यकार कमलनयन पांडेय के अनुसार इन शब्दों के आम बोलचाल की भाषा में प्रयोग में आने के बाद हिंदी और भाषा को मजबूती मिली है और समृद्धि हुई है।
श्रीकांत पांडेय एडवोकेट कहते हैं कि लॉकडाउन, सेनेटाइजर और क्वारन्टाइन जैसे अंग्रेजी भाषा के शब्द इतने लोकप्रिय और चर्चित हो जाएंगे, किसी को भी इसका भान नहीं था। जब पहली बार लॉकडाउन शब्द उनके कान में पड़ा था तो इसका अर्थ वे स्वयं नहीं जानते थे। लेकिन अब तो सभी इससे पूरी तरह वाकिफ हो गए हैं।
इन शब्दों को मिली आम लोगों की जुबान :- कोरोना संक्रमण काल में जिन अंग्रेजी के दो दर्जन से ज्यादा शब्दों को किसी ने सुना नहीं था, वे शब्द अब आम लोगों की बोलचाल में शामिल हो गए हैं। ये शब्द हैं- लॉकडाउन, कम्युनिटी ट्रांसमिशन, माइग्रेशन, पीपीई, रेड जोन, ग्रीन जोन, ऑरेंज जोन, थर्मल स्कैनिंग, होम क्वारन्टीन, होम स्टे, थर्मल स्क्रीनिंग, कम्यूनिटी किचन, क्वारन्टीन, सेनेटाइजर, हॉटस्पॉट, कंटेन्मेंट, बफरजोन, टेस्टिंग किट, आरटी, पीसीआर, कोविड-19, मास्क, ग्लब्स, ड्रापलेट और गारगिल।