गोमती तट के तट पर है धोपाप धाम :- जिले के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में शुमार त्रेतायुगीन धोपाप धाम लम्भुआ तहसील के उत्तरी छोर पर गोमती तट के तट पर स्थित है। शाहगढ़ ग्राम पंचायत स्थित गोमती नदी के टीले पर भगवान राम जानकी का मनोरम मंदिर है। दियरा रियासत के इस मंदिर की स्थापना करीब 400 साल पहले रियासत के राजाओं ने की थी। देश में राजवंश से पहले इस स्थान पर “भर” राजाओं का भी शासन रहा। इसके कई प्रमाण इतिहासकारों को इस स्थान पर मिले हैं।
भगवान राम ने स्नान कर ब्रह्म हत्या से पाई मुक्ति :- मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। ऋषियों-मुनियों और विद्वानों ने भगवान राम को ब्रह्म हत्या का दोषी ठहराया था। ब्रह्म हत्या के पाप से निजात पाने के लिए वशिष्ठ मुनि और विश्वामित्र की सलाह पर अवध की नदियों में से आदिगंगा गोमती को पाप नाशिनी और मोक्षदायिनी मानते हुए गोमती नदी के इस स्थान का चयन किया गया था। बताते हैं कि पापनाशक स्थान को चुनने के लिए गुरु वशिष्ठ ने एक काले कौवे को पत्ते पर रख कर गोमती नदी में तैराया था, जो इसी स्थान पर पहुंचकर सफेद हो गया था। भगवान राम ने इसी स्थान पर स्नान करके ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी। तभी से इस स्थान का नाम तो धोपाप हो गया।
लॉकडाउन की वजह से गंगा दशहरा घाट सूना :- त्रेता युग से इस तीर्थस्थल पर प्रत्येक गंगा दशहरा को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। प्रत्येक वर्ष गंगा दशहरा को होने वाले स्नान पर्व पर आसपास ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने एवं प्रदेश के दूरदराज के जिलों से भी श्रद्धालु यहां स्नान करते करने पहुंचते हैं। धोपाप धाम के राम घाट पर सद्भाव पूर्ण तरीके से कई आयोजन आयोजित किये जाते हैं। गंगा दशहरा के दिन गोमती नदी के धोपाप धाम पर स्नान के बाद लोग पूजन-अर्चन के लिए रामजानकी मंदिर में पहुंचते हैं। लेकिन इस बार “लॉकडाउन” श्रद्धा और भक्ति पर भारी पड़ गया है।