ईद (Eid-Ul-Fitr) पर सेवईं का स्वाद हो गया कसैला, इस बार ठेलों सजी दुकानें
ईद पर धागे से भी बारीक बिकने वाली बनारसी सेवईं बाजार से गायब
सुलतानपुर. लॉकडाउन की वजह से इस बार ईद (Eid-Ul-Fitr) पर सेवईं का स्वाद फीका रहेगा। ईद को अब सिर्फ 2 दिन बाकी हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण दुकानों में सेवईं अभी तक सजी नहीं हैं। जिले में कोरोना (Corona) पॉजिटिव मरीजों की संख्या 41 पहुंचने के बाद जिला प्रशासन दुकानों को खोलने और बन्द रखने को लेकर कुछ ज्यादा सतर्कता बरत रहा है। ऐसे में ईद का त्यौहार नजदीक आने पर जहां सेवईं की दुकानें चहुंओर सजी दिखाई देती थीं। वहीं इस बार लॉक डाउन से मस्जिदें सूनी और ईद की सेवईं का स्वाद फीका हो गया है।
कोरोना वायरस के खौफ ईद (Eid) के पवित्र त्यौहार पर इस बार सेवईं दुकानों पर नहीं, बल्कि ठेलों पर बिक रही हैं। हर साल ईद पर धागे से भी बारीक बिकने वाली बनारसी सेवईं बाजार से गायब है। बनारसी सेवईं यदा-कदा ही दिखाई पड़ रही है। इस बार सबसे ज्यादा बिकने और लोगों को पसंद आने वाली सेवईं है मुजाफ़र सेवईं, किमामी सेवईं, जाफरानी सेवईं और लखनौआ सेवईं। सेवईं कारोबारी राशिद राइनी ने कहा कि इस साल कई किस्म सेवईं की लॉकडाउन की वजह से बाहर सप्लाई नहीं हो पा रही है। मुनाफा छोड़िए यहां तो सेवईं कारोबार घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
सेवईं विक्रेता मोहम्मद नईम ने बताया कि यहां ज्यादातर सेवईं लखनऊ से खरीद कर बिकने के लिए आती हैं। लेकिन यह भी सेवईं बनाकर बेची जाती हैं। वे बताते हैं कि सेवईं बनाने के काम में ज्यादातर महिलाएं होती हैं। इस कारोबार पर ब्रेक लगने से महिलाओं को मेहनताना देना मुश्किल हो रहा है। बाजार में सेवईं के कई रूप और प्रकार हैं। जहां तक सेवईं की पसंद की बात है तो जाफरानी सेवईं सबसे अधिक लोग पसंद कर रहे हैं। जाफरानी सेवईं के खरीददार सबसे अधिक हैं । इसकी बिक्री कीमत है 300 रुपए से 350 रुपए तक।