script… अब कभी भी पूरी नहीं होगी दिग्गज पत्रकार शेष नारायण सिंह की इच्छा | Sultanpur journalist Shesh Narayan Singh death desire Incomplete | Patrika News

… अब कभी भी पूरी नहीं होगी दिग्गज पत्रकार शेष नारायण सिंह की इच्छा

locationसुल्तानपुरPublished: May 08, 2021 12:25:02 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

journalist Shesh Narayan Singh death – डिग्री कॉलेज में इतिहास के लेक्चरर थे पर नौकरी छूटी बन गए हरदिलअजीज पत्रकार- गांव में गोमती किनारे कुटिया बनाने की थी अंतिम इच्छा

... अब कभी भी पूरी नहीं होगी दिग्गज पत्रकार शेष नारायण सिंह की इच्छा

… अब कभी भी पूरी नहीं होगी दिग्गज पत्रकार शेष नारायण सिंह की इच्छा

सुलतानपुर. journalist Shesh Narayan Singh death : मशहूर पत्रकार शेषनरायन सिंह की अंतिम इच्छा अब कभी पूरी नहीं होगी। वे अपने गांव लौटकर आदिगंगा गोमती के किनारे कुटिया बनाकर शांतिपूर्वक जीवन गुजारना चाहते थे। पर कोरोना वायरस से मशहूर पत्रकार शेषनरायन सिंह का निधन हो गया। वह लम्भुआ थाना एवं लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र के मामपुर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने बीबीसी लंदन के हिंदी रेडियो से पत्रकारिता की शुरुआत की थी।
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शेष नारायण सिंह के मित्र जिले के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार राज खन्ना ने बताते हैं कि, शेष नारायण सिंह भले ग्रेटर नोएडा में रहते रहे थे लेकिन सुल्तानपुर में उनके प्राण बसते थे। हर छोटी-बड़ी खबर और आम-खास लोगों के कुशलक्षेम में उनकी गहरी दिलचस्पी थी। इधर मुझसे बार-बार दोहराते कि अब वापस घर ही आना है। गांव के किसी एकांत कोने में गोमती किनारे कुटिया बनाने की योजना बनाये हुए थे। किसे पता था कि इतनी जल्दी जलधारा अवशेषों को आंचल में समेटने की प्रतीक्षा में हैं। अंत में वो कोरोना की गिरफ्त में आ गए।
इतिहास के लेक्चरर से हरदिल अजीज पत्रकार बनें :- सुलतानपुर के लंभुआ विधानसभा क्षेत्र मामपुर गांव के निवासी पत्रकार शेष नारायण सिंह सन 1973 में यहां कादीपुर में संत तुलसीदास डिग्री कॉलेज में इतिहास के लेक्चरर थे। कॉलेज की अंदरूनी राजनीति के चलते उनकी नौकरी जल्दी ही छूट गई थी। फिर उन्होंने नौकरी की तलाश में दिल्ली का रुख कर लिया था। उन्हें अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा। इस संघर्ष ने उन्हें और तराश दिया था। उन्होंने पत्रकारिता को जुनून के तौर पर जिया। पहले प्रिंट मीडिया में खुद को स्थापित किया फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चिरपरिचित चेहरे बन गए। घटनाओं पर उनकी गहरी और पारखी नज़र थी। शानदार न्यूज़ सेंस। उनकी प्रस्तुति के लिए जानदार भाषा थी। बेलाग-बेबाक लहजा था और बोलने का सलीका भी। उन्होंने जमकर अग्रणी हिंदी चैनलों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज की और टाइम्स नाउ जैसे अंग्रेजी चैनलों के लिए भी काम किया।
गांव में मातम छा गया :- गुरुवार को मुंबई के एक युवक ने उन्हें प्लाज्मा डोनेट किया तो उनकी तबियत में सुधार होने लगा था। इस दौरान उन्होंने घर का बना खाना खाने की इच्छा जताई थी। शेषनारायण सिंह अपने पीछे पत्नी इंदू सिंह, बेटा सिद्धार्थ और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। शेष नारायण सिंह की मृत्यु से उनके पैतृक गांव में मातम छा गया।
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