बसपा सरकार में जिले में हुई सफाईकर्मियों की भर्ती में बल्दीराय ब्लाक में 83 सफाईकर्मियों की भर्ती की गयी थी। इसमें अधिकांश सफाईकर्मी ग्रामप्रधानों व सहायक विकास अधिकारी पंचायत को मिलाकर झाड़ू पकड़ने के बजाय अपने स्थान पर दूसरे मजदूर लगाकर थोड़ी बहुत सफाई स्कूलों में करा देते हैं, लेकिन गांव की गलियां जहां गन्दगी से पटी रहती हैं वहीं नालियां बजबजा रही हैं।
जिले से भाजपा के टिकट पर वरूण गांधी के सांसद चुने जाने के बाद से जिले की गिनती वीआईपी क्षेत्र में होने लगी है। इसी जिले के अन्तर्गत आने वाला ब्लॉक बल्दीराय के गांवों में साफ सफाई के लिए नियुक्त 83 सरकारी सफाईकर्मियों के प्रतिमाह वेतन पर लाखों रूपये खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद सराय गोकुल गांव में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत तो यह है कि वहां दिन में लोग जाने से कतराते हैं, वहां उगे झाड़-झंखाड़ ये बंया करते हैं कि वर्षों से यहां सफाई नहीं हुई। भारत सरकार की ‘स्वच्छ भारत मिशन‘ योजना भी पूरी तरह से यहां फेल हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि ब्लॉक के विभिन्न गांवों की सफाई के लिए भर्ती किए गए सफाईकर्मियों में कई तो ब्लॉक मुख्यालयों पर अधिकारियों की आवभगत में व्यस्त हैं। कोई साहब की गाड़ी चला रहा है, तो कोई उनके घर की सफाई और किचन की व्यवस्था सम्भाल रहा है। भले ही गांवों की नालियां बजबजा रही हों और रास्तों पर पड़े कूड़े के ढेर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हों, लेकिन साहब की गाड़ियां चमचमा रही हैं। उनके बंगलों की साफ-सफाई भी देखने लायक है क्योंकि शासन द्वारा नियुक्त सफाईकर्मी उनके यहां दिन-रात तैनात हैं।