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रमजान में रोजेदारों को आता है अधिक गुस्सा तो करें ये उपाएं, तुरंत मिलेगा निजात

locationसुल्तानपुरPublished: May 27, 2018 04:38:52 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

जानिए क्या हैं इसकी वैज्ञानिक वजह$

Rozedaar

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सुल्तानपुर. अक्सर देखा गया गया है कि रमज़ान में रोज़ेदार सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक गुस्सा, झल्लाहट और चिड़चिड़ापन जैसे असामान्य व्यवहार से ग्रसित हो जाता है और पुराने चलन के मुताबिक इस संबंध में एक वाक्य बहुत प्रसिद्ध है कि “हम से न बोलिये कि आज रोज़ा बहुत लग रहा है।” आइये नज़र डालते हैं उन वैज्ञानिक पहलुओं पर जो रमज़ान में रोज़ेदार के असामान्य व्यवहार जैसे अधिक गुस्सा, चिड़चिड़ापन आदि का कारण हैं।
मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर पेन मैनेजमेंट एंड सपोर्ट्स इंज्यूरी एवं डाइट विशेषज्ञ डॉ. एस.ई. हुदा ने रमज़ान में रोज़ेदार के इस असामान्य व्यवहार पर एक रिसर्च के माध्यम से इसके वैज्ञानिक पहलू और इसके निदान के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की है। आख़िर क्या ऐसे वैज्ञानिक कारण हैं जिनकी वजह से रोज़ेदार को रमज़ान में सामान्य दिनों के अपेक्षा चिड़चिड़ापन और अधिक गुस्सा आता है।
इसलिए आता है रोजेदार को गुस्सा-

सामान्य दिनों में हम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा का दैनिक भोजन में नियमित अंतराल पर प्रयोग करते हैं जो आम तौर से शुगर, एमिनो एसिड और फ्री फैटी एसिड में डाइजेस्ट हो जाता है और ये न्यूट्रेन्ट्स हमारे शरीर के रक्तसंचार के साथ विभिन्न ऑर्गन्स और टिश्यू में पहुँच जाते हैं जिनका उपयोग शरीर ऊर्जा के रूप में करता है। परंतु इस बार के रमज़ान में रोज़ेदार को लगभग 16 घंटे का लम्बा अंतराल बिना खाये पिये गुज़ारना पड़ रहा है, जिसके कारण निश्चित समयावधि में बॉडी ऑर्गन्स को रक्तसंचार के साथ मिलने वाले न्यूट्रेन्ट्स की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसके फलस्वरूप शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा तेज़ी से गिरने लगती है जिसकी सूचना शरीर के ऑर्गन मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं और मस्तिष्क शरीर में ग्लूकोज़ की गिरती हुई मात्रा को पुनः प्राप्त करने के प्रयास में लग जाता है जिसके फलस्वरूप रोज़ेदार के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और झल्लाहट उत्पन्न हो जाते हैं।
चूंकि रोज़ेदार अफ्तार तक किसी भी प्रकार के पदार्थ का सेवन नहीं कर सकता है इसलिये मस्तिष्क गुलुकोज़ की कमी को शरीर में पूरा करने के लिए शरीर के अन्य ऑर्गन्स को सिंथेसिस प्रक्रिया के माध्य्म से ग्लूकोज़ की कमी को पूरा करने के लिए आदेशित करता है। इसके फलस्वरूप शरीर को अस्थायी हार्मोनल परिवर्तन की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है जिसके फलस्वरूप रोज़ेदार को अत्यधिक गुस्सा तथा भयंकर चिड़चिड़ापन का शिकार होना पड़ता है। इसके अतिरिक्त 16 घंटे के भूख प्यास के लंबे अंतराल में मष्तिष्क से प्राकृतिक केमिकल रिलीज़ होने लगते हैं जो गुस्से या साधारण भाषा मे कहे तो “रोज़ा लगने” का प्रमुख कारण है। जबकि धर्मिक एतबार से रोज़ेदार को किसी भी हालत में गुस्सा करना जायज़ नहीं है। अन्यथा रोज़ा मुकुरु हो सकता है और अधिक गुस्सा करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से यदि मुँह भर कर उल्टी हो गयी तो रोज़ा टूट भी सकता है।
ये हैं उपाए-
तो आख़िर ऐसा क्या उपाय है जो रोज़ेदार को 16 घंटे की लंबी अवधि के दौरान गुस्से पर नियंत्रण रखने में सहयोग करे। रोज़ेदार का रोज़ा बना रहे और शरीर में ग्लूकोज़ लेवल की मात्रा को नियंत्रित करने में सहयोग मिले ? आपको ये जानकर हैरत होगी कि नवरात्रों में प्रयोग होने वाला कुट्टू का आटा और सेंधा नमक का प्रयोग रमज़ान में गुस्सा नियंत्रित करने का राम-बाण है। यदि हम अफ्तार के बाद खाने में कुट्टू के आटे की रोटी का प्रयोग करते हैं तो हमारे शरीर मे 16hr की भूक प्यास से होने वाले हार्मोनल चेंजेस की कमी को पूरा करता है। कुट्टू के आटे में विटामिन बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो 16 घंटे की भूख प्यास से शिथिल पड़े शरीर के आंतरिक अंगों को एनर्जी देने का काम करता है। कुट्टू का आटा लो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में महत्व्पूर्ण भूमिका निभाता है। ब्लड प्रेशर कंट्रोल होते ही गुस्सा नियंत्रित हो जाता है। यदि रोज़ेदार सेहरी में पराठे, तंदूरी रोटी, मैदा की रोटी की जगह कुट्टू के आटे की रोटी का प्रयोग कर ले तो पूरे दिन के गुस्से पर लगाम कसी जा सकती है।
नवरात्र में प्रयोग होने वाले सेंधा नमक, आलू और कुट्टू के आटे की रोटी का सेवन अफ्तार और खासकर सेहरी में किया जाए तो रोज़ेदार का दिमागी तनाव बहुत कम हो जाता है, सेंधा नमक वज़न बढ़ने से रोकने में भी मदरगार साबित होता है। आलू के साथ सेंधा नमक डाल कर कुट्टू की रोटी सेवन करने से 16 घंटे की लंबी अवधि के बाद भी पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है एवं डिहाइड्रेशन की वजह से जो इलेक्ट्रो-लाइट अनियंत्रित होता है उसकी कमी को पूरा करता है और त्वचा पर पड़ने वाली ख़राशों से रक्षा करता है।

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