लूट, हत्या, डकैती, एक्सीडेंट, चोरी जैसे तमाम मामलों में कई बार पुलिस सीमा-विवाद में उलझी रह जाती है। इससे पीड़ित को तत्काल मदद नहीं मिल पाती। कई बार इस चक्कर में घायल दम तोड़ देते हैं, हत्यारे भाग जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इस विवाद को खत्म करने के लिए जिले में पहली बार पुलिस गूगल मैप का सहारा लेने जा रही है। गूगल मैप के जरिये ही पुलिस गश्त और बीट का निर्धारण भी किया जाएगा। ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को इससे पता चल जाएगा कि उनकी बीट कहां तक है। कंट्रोल रूम द्वारा इसकी ट्रैकिंग जीपीएस के जरिये की जाएगी।
अपराधों-अपराधियों पर रहेगी नजर पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स ने बताया कि अक्सर दो थानों के बीच सीमा-विवाद पैदा होने से पुलिस उलझ जाती है। कई बार लोगों की शिकायत यह होती है कि सीमा-विवाद के चक्कर में उनकी शिकायतों पर सुनवाई नहीं हो पा रही। सीमा-विवाद का निर्धारण करने में काफी देर लग जाया करती थी। हालांकि गूगल मैप के इस्तेमाल के बाद अब सीमा-विवाद का चक्कर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। इससे संबंधी डेटा कंप्यूटर में अपलोड किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले तीन-चार दिनों में हम इसका ट्रायल शुरू कर देंगे। उसके बाद जीपीएस सिस्टम से पुलिस की निगरानी शुरू हो जाएगी। इसके जरिये सभी थानों में बीट व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया जा सकेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कंट्रोल रूम में बैठकर एक जगह से ही पुलिस पेट्रोलिंग और अपराधों पर नजर भी रखी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि गूगल मैप की मदद से अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के साथ ही पीड़ितों तक त्वरित मदद पहुंचाना भी आसान हो जाएगा।