ये भी पढ़ें- UP Weather updates: बारिश से लखनऊ वालों के खिले चेहरे, गुरुवार तक यूपी के कई हिस्सों में होगी तेज बरसात पर्याप्त बारिश न होने से किसानों का कलेजा मुंह में आ रहा है। कभी झमाझम बारिश तो कभी सूखा की स्थिति और रूठे मानसून के साथ सूखी नहरें धान उत्पादक किसानों के बर्बादी की इबारत लिख रही हैं । पिछले एक साल से फसल उत्पादन के परिणाम से चोटिल किसान भविष्य में रोटी-चावल के लिए खास चिंतित हो उठे हैं।
बादलों की ओर टकटकी लगाए हैं किसान- धान रोपाई के पीक टाइम में नहरें सूखी पड़ी हैं। मौसम विभाग द्वारा बरसात के लिए की जा रही भविष्यवाणी से आशान्वित किसान मानसून के रूठने से चिंतित हो गए हैं। अब किसान केवल आसमान की ओर टकटकी लगा उम्मीद बांदे बैठे हैं। कृषि विभाग का स्लोगन है कि “मध्य जून जो रोपे धान, सो जानो खुशहाल किसान।” लेकिन मानसून के रूठने से सब उल्टा हो रहा है।
ये भी पढ़ें- शुरू हुई झमाझम बारिश, करीब एक सप्ताह मॉनसून रहेगा पीक पर खेतों में धान के लिए चाहिए 4 इंच पानी जिला कृषि अधिकारी विनय कुमार वर्मा ने कहा कि धान की रोपाई के लिए खेतों में कम से कम 4 इंच पानी चाहिए । उन्होंने कहा मानसून के कमजोर पड़ने से और नहरों के सूखा रहने से संभव नहीं लग रहा है ।