सूरजपुर जिले के मानीचौक पर बुधवार की सुबह ग्रामीणों ने समस्याओं को लेकर चक्काजाम करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि एसईसीएल व राजस्व के अधिकारियों से समस्याओं को लेकर कई बार ध्यानाकर्षण कराया गया है। लेकिन आश्वासन के बाद भी कोई अमल नहीं किया गया।
आक्रोशित ग्रामिणों ने टायर जलाकर चक्काजाम कर दिया। ग्रामीणों ने चक्काजाम कर लगभग ३ से ४ घंटे तक आवागमन पूरी तरह से ठप कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा दो वर्ष पूर्व तैयार कराया गया मिनी पानी टंकी व बोरवेल लंबे समय से खराब पड़ा हुआ है।
बाजार शेड निर्माण हेतु प्रबंधन द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद भी आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। महिनों से क्षतिग्रस्त विद्युत पोल का आज तक अधिकारियों द्वारा बदलने का कार्य नहीं कराए जाने की वजह से आए दिन लोग यहां पर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा शासन की जन कल्याणकारी योजना वन अधिकार पत्र से लोगों को वंचित रखा जा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण अन्य मुलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किए जाने पर हमेशा लिखित आश्वासन दिया जाता है। लेकिन काम शुरू नहीं किया जाता है। इसे लेकर ही ग्रामीणों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए चक्काजाम कर दिया।
लगभग 12 बजे के आसपास चक्काजाम शुरू किया गया। इससे लगभग 3 से 4 घंटे तक आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। आंदोलन की सूचना मिलने के बाद सूरजपुर तहसीलदार नन्दनी पाण्डेय, पटवारी तारामनी मरकाम, एसईसीएल प्रबंधन की ओर से उप क्षेत्रीय प्रबंधक आरके शर्मा, एमके निगम, एसके दिलसेना व अन्य अधिकारी दल-बल के साथ पहुंचे मानीचौक पर पहुंचे थे।
आंदोलनकारियों को अधिकारियों ने काफी समझाने का प्रयास किया गया। लेकिन वे नहीं माने। आंदोलन में मुख्य रूप से मानी पंचायत के उपसरपंच बोधन सिंह पोर्ते, बलिन्दर राजवाड़े, मनोज राजवाड़े, उमाशंकर देवांगन, जितेन्द्र यादव, सुभाष सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
ये बातें कही तो माने
एसईसीएल के अधिकारियों ने बताया कि तात्कालीन व्यवस्था के तहत टैंकर के माध्यम से ग्रामिणों को पेयजल व्यवस्था उपलब्ध करायी जाएगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बाजार शेड के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। एक सप्ताह के अंदर काम शुरू कर दिया जाएगा। तहसीलदार व पटवारी ने कहा कि वन समिति से जल्द ही प्रस्ताव पारित करा, पात्रता के आधार पर वन भूमि का पट्टा प्रदान किया जाएगा। अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद ग्रामीणों ने आंदोलन समाप्त कर दिया।