ऐसे में यहां ई-गवर्नेंस और
डिजिटल इंडिया का सपना कैसे पूरा होगा। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरप्लस बिजली उत्पादन करने वाला राज्य है। ऐसे में इस गांव में बिजली न पहुंच पाना, सरकार को आइना दिखाता है।
सूरजपुर जिले के दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्र चांदनी बिहारपुर से लगे ग्राम कोल्हुआ के भाटपारा ग्राम में आजादी के सात दशक बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाली संरक्षित जनजाति पंडो वर्ग बाहुल्य भाटपारा में अभी तक बिजली न पहुंचने से यहां की विकास की गति कैसी होगी सामान्य तौर पर ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
शासन स्तर पर अक्सर यह बात कही जाती है कि 2019 तक देश के सभी ग्रामों को विद्युतीकरण कर ई गवर्नेंस से जोड़ दिया जाएगा लेकिन अभी तक क्षेत्र के कई ग्राम विद्युतविहीन होने का दंश झेल रहे हैं।
यहां विद्युत न होने से प्रकाश व्यवस्था तो लालटेन और ढिबरी के सहारे हंै। वहीं मोबाइल जैसे महत्वपूर्ण संचार साधन से भी लोग वंचित हैं, ऐसे में डिजिटल इंडिया और ई गवर्नेंस की कल्पना करना बेमानी होगा।
मोबाइल चार्ज करने जाना पड़ता है दूसरे गांव
कोल्हुआ के आश्रित ग्राम भाटपारा में विद्युत लाइन न होने से यहां के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। विद्युत प्रकाश, पंखे, कूलर, फ्रिज और अन्य भौतिक सुख सुविधाओं की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती। वर्तमान में संचार का सबसे महत्वपूर्ण साधन बने मोबाइल फोन का उपयोग भी सही ढंग से यहां के लोग नहीं कर पा रहे हैं।
गांव के कुछ लोगों के पास मोबाइल तो हैं लेकिन मोबाइल को चार्ज करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है। भाटपारा कोल्हुआ में रात होते ही जंगली जानवरों की दहाड़ शुरू हो जाती है, ऐसे में रात को लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। विद्युत के अभाव में बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती है, इस आधुनिक युग में विद्युत विहीनता का दंश झेल रहे भाटपारा के लोग कई तरह की परेशानी का सामना करने मजबूर हंै।
क्रेडा की सौर ऊर्जा योजना भी हुई असफल
चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के कई सुदूर वनांचल ग्रामों को रौशन करने क्रेडा द्वारा सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले उपकरण लगाये गये थे। लेकिन रख-रखाव के अभाव में यह योजना भी कारगर साबित नहीं हो पाई। जिन गांवों में सौर ऊर्जा से चलने वाले विद्युत उपकरण लगाये गये थे।
वहां रात को तो क्या दिन में भी लोगों को राहत नहीं दे पा रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि उपकरण में खराबी आने के बाद संबंधित अधिकारियों को सूचना दी जाती है, लेकिन कोई भी अधिकारी उपकरण ठीक करने नहीं पहुंच पाते।