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बेटा साथियों के साथ माता-पिता की कर रहा था खोजबीन, अचानक मिट्टी के ढेर में दबी मिली दोनों की लाश

locationसुरजपुरPublished: Dec 07, 2019 06:08:53 pm

Chhattisgarh Crime: एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही फिर आई सामने, इससे पूर्व भी दर्जनभर से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत

बेटा साथियों के साथ माता-पिता की कर रहा था खोजबीन, अचानक मिट्टी के ढेर में दबी मिली दोनों की लाश

Dead body of husband-wife

बिश्रामपुर. एसईसीएल बिश्रामपुर में बंद पड़ी खदानों (Coal mines) में अवैध रूप से कोयला निकालने के दौरान कई लोगों की मौत हो चुकी है। एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ये हादसे हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला 7 दिसंबर को भी सामने आया।
6 दिसंबर को पति-पत्नी बंद पड़ी ओसीएम खदान से कोयला निकालने गए थे। इसी दौरान उनके ऊपर मिट्टी की बड़ी चट्टान आ गिरी। हादसे में दोनों की दबकर मौके पर ही मौत (Husband-wife death) हो गई। खोजबीन के दौरान शनिवार की सुबह दोनों की लाश मिट्टी में दबी मिली।

सूरजपुर जिले के बिश्रामपुर थानांतर्गत ग्राम शिवनंदनपुर तालाबपारा निवासी मो. हनीफ 50 वर्ष अपनी पत्नी मेहरुन्निशा 45 वर्ष के साथ एसईसीएल बिश्रामपुर के बंद पड़ी ओसीएम खदान क्रमांक-एक से शुक्रवार को अवैध रूप से कोयला निकालने गया था। रात तक जब दोनों घर नहीं लौटे तो परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरु की।
शनिवार की सुबह उनका पुत्र अपने साथियों के साथ खोजते हुए खदान के पास पहुंचा तो माता-पिता का मिट्टी में दबा सिर दिखा। फिर उसने तत्काल इसकी सूचना बिश्रामपुर थाना प्रभारी कपिलदेव पांडेय को दी। सूचना मिलते एसआई बिमलेश सिंह, प्रधान आरक्षक इन्द्रजीत सिंह, वरूण तिवारी व आनंद सिंह घटना स्थल पर पहुंचे।
उन्होंने एसईसीएल के खान बचाओ केन्द्र के कर्मचारियों के सहयोग से दोनों के शवों को बाहर निकलवाकर पीएम के लिए अस्पतातल भिजवाया। पूरी संभावना जताई जा रही है कि कोयला निकालने के दौरान उनपर मिट्टी का बड़ा चट्टान गिर गया और दबकर उनकी मौत हो गई।

पहले भी हो चुकी हैं मौतें, प्रबंधन की लापरवाही आई सामने
एसईसीएल बिश्रामपुर प्रबंधन की लापरवाही से 2 लोंगो की और मौत हो गई। इससे पहले एसईसीएल बिश्रामुपर के पोखरी खदानों में डूबने एवं कोयला निकालने के दौरान डेढ दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी कोई पहल नहीं की जा रही है।

कोल इंडिया के ये हैं निर्देश
कोल इंडिया का निर्देश है कि कोयला उत्खनन के बाद संबंधित क्षेत्र का एसईसीएल प्रबंधन समतलीकरण करेगा, ताकि जनहानि न हो। पंरतु ऐसा भी नहीं किया जा रहा है। यहां कोयला निकालकर उसे खुला छोड़ दिया गया है। इधर जान जोखिम में डाल लोग बंद खदानों से कोयला उत्खनन करते हैं। उन्होंने इसे अपने जीविकोपार्जन का धंधा बना लिया है।

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