गौरतलब है कि प्रेमनगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बिश्रामपुर नगर पंचायत क्षेत्र में कुल 10 पोलिंग बूथ निर्धारित किए गए थे, इसमें कुल 9162 मतदाता थे। लेकिन इनमें से महज 4605 मतदाता ही अपने मत का प्रयोग किया।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार 4557 मतदाता वोट डालने नहीं पहुंचे जबकि हकीकत ये है कि अधिकांश वोटर निर्वाचन आयोग की लापरवाही का शिकार हो गए। इसका मुख्य कारण वोटर लिस्ट में नामों का एक-दूसरे बूथ पर होना या फिर नहीं होना था। वहीं कई मतदाता को सूची में मृत घोषित कर दिया गया था। कई वोटरों को तो पर्ची ही नहीं मिली थी। इसकी वजह से दिन भर मतदाता भटकते रहे और वोट नहीं कर पाए।
निर्वाचन आयोग की इस घोर लापरवाही का खामियाजा 4 हजार से भी अधिक वोटरों को भुगतना पड़ा। इस संबंध में जब संबंधित बीएलओ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मतदान से ठीक 24 घंटे पूर्व ही उन्हें मतदाता पर्ची मिली थी जिस कारण वह लोगों तक नहीं पहुंच पाया। साथ ही सारे नए नाम जोड़कर दिए गए थे, लेकिन ऊपर से ही नहीं जुड़ पाया।
वहीं विशेषज्ञों की मानें तो 4557 वोट नहीं पडऩे से किसी भी प्रत्याशी का भाग्य चमक सकता है या फिर बिगड़ सकता है। फिलहाल नगर पंचायत क्षेत्र में 50.26 प्रतिशत के मतदान के साथ प्रत्याशियों का भाग्य इवीएम में कैद हो चुका है, अब निर्वाचन की इस बड़ी लापरवाही का खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा और फायदा किसे होगा, यह 11 दिसंबर को पिटारा खुलने के बाद ही पता चलेगा।
10 वर्ष पूर्व मृत लोगों को नाम आज तक
निर्वाचन आयोग की लापरवाही का नमूना मतदाता सूचियों में देखने को मिला। मतदाता सूचियों में 10 वर्ष पूर्व मृत लोगों का नाम आज तक नहीं कटा है और जो जीवित हंै ऐसे कई मतदाताओं का नाम काट दिया गया है। इसकी वजह से जब जीवित व्यक्ति मतदान करने केन्द्रों पर पहुंचे तो उन्हें हकीकत जानकर काफी हैरानी हुई।
सरपंच सहित 165 वोटरों का नाम दूसरे पंचायत में
मतदाता सूची में एक और बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली। ग्राम पंचायत सतपता के सरपंच फूलचंद सहित 165 जो पंचायत के चिटकीपारा के रहने वाले हंै उनका नाम गोरखनाथपुर ग्राम पंचायत में जोड़ दिये जाने से ग्रामीणों को काफी नाराजगी देखने को मिली। यह क्षेत्र में पहला मामला है जिसमें एक पंचायत के सरपंच सहित 165 मतदाताओं का मतदाता सूची से नाम हटाकर दूसरे ग्राम पंचायत में जोड़ दिया गया।