दावे में जो बताया गया है उसके अनुसार यहां जिला चिकित्सालय में लैब टेक्नीशियन के 12 संविदा पद हेतु आवेदन मंगाया गया था, जिसकी पात्र-अपात्र सूची जारी कर दावा आपत्ति मंगाई गई थी। इस सूची में 18 अभ्यर्थियों के नाम शामिल हैं परंतु जब चयन सूची जारी की गई तो ऐसे लोग चयनित किए गए, जिनके नाम इस सूची में शामिल नही थे। अब इसमें क्या गड़बड़ी (Corruption) है, यह तो जांच का विषय है पर स्वास्थ्य विभाग में इसमे अजीब तर्क देकर खुद को पाक साफ बता रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार भर्ती नियमानुसार हुई है। जहां तक बात सूची में 18 नाम और चयन में 22 का है तो जब आवेदन मंगाए गए उस दौरान 48 घण्टे के लिए दफ्तर सील किया गया था। इस बीच कुछ स्पीड पोस्ट के डाक आये थे जो यहां रिसीव नही हुए और जब सूची जारी हुई तब अभ्यर्थियों को जानकारी लगी तो उन्होंने डाक विभाग से लिखित जानकारी दी।
इस बिना पर उनके आवेदन को शामिल करना पड़ाा। इस सम्बंध में डीपीएम ने कुछ भी बताने से यह कर इंकार किया कि वे इसके लिए अधिकृत नहीं हैं और चयन सूची कमेटी ने तय किया है। जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस सिंह के अनुसार भर्ती नियमानुसार किया गया है।
चयन सूची ओर पात्र अपात्र सूची के अंतर पर उन्होंने कहा कि दफ्तर सील होने के कारण ऐसा हुआ है जो गलत नहीं है। उनके आवेदन आये थे पर डाक विभाग के कारण विलम्ब हुआ, जिसे उसे हमें स्वीकार करना पड़ा।
पूरे अध्ययन के बाद जारी की सूची
चयन में कमेटी ने पूरे अध्ययन के बाद सूची जारी की है। जो भी हो इस सूची में कथित गड़बड़ी के कारण कई पात्र दावेदार चयन से वंचित रह गए, जिनमे इस चयन को लेकर आक्रोश है और वे जांच की मांग कर रहे हंै।