हाथी की मौत कैसे हुई, इसको लेकर वन अफसर उलझ गए हैं, कोई भी कारण अफसर नहीं बता पा रहे हैं। उनका कहना है कि हाथी का बिसरा जांच के लिए रायपुर व देहरादून के लैब में भेजा जाएगा। यहां से रिपोर्ट आने के बाद मौत की वजह स्पष्ट हो पाएगी। हालांकि क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा है कि हाथी को जहर देकर या फिर करंट से मारा गया है।
गौरतलब है कि प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में हाथियों का दल भ्रमण कर रहा है। बताया जा रहा है कि अभी ४-५ दिन से दो हाथी कनकपुर सिलफिली जंगल के आसपास विचरण कर रहे थे। इसी में एक नर हाथी का शव रविवार की सुबह कनकनगर में धान के खेत में मिलने से सनसनी फैल गई। मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ लग गई।
ग्रामीणों द्वारा इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी गई। इस पर सीसीएफ केके बिसेन सहित अन्य अफसर घटनास्थल पर पहुंचे। घटनास्थल की जांच में किसी प्रकार का तरंगित तार सहित अन्य कोई सामग्री नहीं मिलने से हाथी की मौत कैसे हुई, यह स्पष्ट नहीं हो सका।
अधिकारियों की मौजूदगी में तीन चिकित्सक डॉ. एनके पांडेय, डॉ. एसएन पटेल व डॉ. सलिनिशा मीनू एक्का द्वारा हाथी के शव का पीएम किया गया। शव का पीएम करने के बाद चिकित्सक भी हाथी की मौत का प्रारंभिक कारण भी नहीं बता पाए। हाथी की उम्र लगभग 45 से 50 के बीच में बताई जा रही है।
हाथी का बिसरा किया गया प्रिजर्व
सीसीएफ केके बिसेन ने बताया कि घटनास्थल पर किसी प्रकार का तरंगित तार या गड्ढा सहित अन्य कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है, जिससे ये कहा जा सके कि उसे जानबूझकर किसी ने मारा है।
मौत की वजह जानने हाथी का बिसरा प्रिजर्व कर लिया गया है, जिसे रायपुर व देहरादून वन अनुसंधान संस्थान में भेजा जाएगा। यहां से रिपोर्ट आने के बाद ही हाथी के मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी। हाथी के शव को पीएम के बाद वहीं दफना दिया गया है।
क्षेत्र में ऐसी भी चर्चा
वन अफसरों के मुताबिक तो हाथी के मौत की वजह सामने नहीं आ सकी है, लेकिन क्षेत्र में दिन भर यह चर्चा रही कि हाथी ने तड़प कर दम तोड़ा है तथा संभवत: किसी ने उसे जहर देकर या फिर तरंगित तार लगाकर मारा है।
जोर के जंगल में हैं 20 हाथी
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम जोर जंगल के किनारे अभी भी 20 हाथियों का दल जंगल किनारे डेरा जमाए हुए है, जिनकी चिंघाड़ से ग्रामीण दहशत में हैं। वहीं 3 हाथी तमोर पिंगला अभ्यारण्य के पास जंगल में विचरण कर रहे हैं। आसपास गांव के ग्रामीण दहशत के साए में अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।