ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्षेत्र के रेंजर व उनके मातहत कहां ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने परिक्षेत्र में भ्रमण कर रहे हाथियों तक की जानकारी नहीं है।
बताया जा रहा है कि एक ही रेंजर के कार्यकाल में यह 7वें हाथी की मौत है लेकिन आला अधिकारियों की कलम उनके विरुद्ध नहीं चली है। यही कारण है कि हाथी मर रहे है लेकिन जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।
Breaking News: हाथियों की मौत का सिलसिला जारी, आज सुबह फिर एक दंतैल हाथी का मिला शव
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत दरहोरा गांव से लगे कक्ष क्रमांक 101 जंगल में शुक्रवार की सुबह ग्रामीणों ने नर दंतैल हाथी की सड़ी-गली लाश देखी। इसकी सूचना उन्होंने वन विभाग
(Forest Department) को दी। सूचना मिलते ही रेंजर पीसी मिश्रा अपने टीम के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरु की।
हाथी का शव 10-15 दिन पुराना बताया जा रहा है। इस बात को लेकर ग्रामीणों में भी आक्रोश है कि वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जंगल की ओर झांकने तक नहीं आते हैं। वहीं उनका कहना है कि जब उनकी गांव की ओर हाथी आते है और इसकी जानकारी देने वे रेंजर को फोन लगाते हैं तो उनके द्वारा रिसीव नहीं किया जाता है। ऐसे में वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। हाथी की मौत कैसे हुई यह पीएम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
जंगल में संदिग्ध हालत में मिला हाथी का सड़ा-गला शव, गांव वालों ने दी सूचना, आखिर कहां रहते हैं वन अधिकारी-कर्मचारी
एक ही रेंजर के कार्यकाल में 7 हाथियों की मौतफिलहाल वन परिक्षेत्र प्रतापपुर रेंज की कमान रेंजर पीसी मिश्रा के हाथों में है। उनके कार्यकाल में वन परिक्षेत्र में 7 हाथियों की मौत हो चुकी है। अधिकांश मामलों में रेंजर को भनक तक नहीं लगी है कि किसी हाथी की मौत हो चुकी है। यहां तक की उनके मातहत भी इस प्रकार की घटना से बेखबर होते हैं।
ग्रामीणों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद ही उन्हें पता चलता है कि हाथी का शव
(Elephat dead body) सड़-गल चुका है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि रेंजर व उनके मातहत आखिर कहां ड्यूटी करते हैं, जब उन्हें हाथियों के संबंध में ही जानकारी नहीं होती है।
ये Video बयां कर रहा वन अफसरों की तस्करों से साठगांठ, जब जंगल ही कट जा रहे तो किस काम का लेते हैं वेतन
बेहिसाब काटे जा रहे पेड़प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में पेड़ों की कटाई भी बेहिसाब जारी है, इस पर भी वन अमला रोक लगा पाने में अक्षम रहा है। प्रतापपुर-राजपुर मार्ग पर कई बड़े-बड़े पेड़ तस्करों
(Wood smugglers) द्वारा काटे जा रहे है या कट चुके हैं, इसका जवाबदारी किसकी है।
पेड़ कटने को लेकर कई बार खबरें भी प्रकाशित हो चुकी हैं लेकिन आला अधिकारियों के कानों तक ये बात नहीं पहुंचती। या यूं कहे तो सब तस्करों से सेटिंग कर पेड़ कटाई का खेल चल रहा है।