गौरतलब है कि ग्राम सलका निवासी 36 वर्षीया अविवाहिता विक्षिप्त युवती पर लगातार हुए अमानवीय अत्याचार के बाद अपनी चौथी संतान को जन्म देने की जानकारी जब पत्रिका को लगी तो पत्रिका ने मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना को ‘कामांधों ने विक्षिप्त को भी नहीं बख्शाÓ शीर्षक से निर्भिकता और प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
समाचार प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन ने इसे पूरे मामले को संज्ञान में लेकर सबसे पहले तो विक्षिप्त पीडि़ता को इलाज के लिए बिलासपुर के सेंदरी स्थित राज्य मानसिक रोगी उपचार केन्द्र में भेजा गया और नवजात की देखरेख की जिम्मेदारी मातृछाया शिशु कल्याण केन्द्र बिलासपुर को दी थी।
चार जीवित संतान को किया गया संरक्षित
अब तक सभी को यह जानकारी थी कि युवती का यह चौथा प्रसव था, लेकिन जब जिला बाल संरक्षण इकाई ने इस पूरे मामले की जांच की तो कई बातें सामने आईं। उन्होंने जब प्रसव पंजी को खंगाला तो स्पष्ट हुआ कि विक्षिप्त युवती की पहली संतान अम्बिकापुर चिकित्सालय में वर्ष 2009 में मृत पैदा हुई थी।
दूसरी संतान बालिका 5 अक्टूबर 2011 को, तीसरी संतान बालक 5 अप्रैल 2013 को, चौथी संतान बालिका 24 फरवरी 2016 को तथा पांचवी संतान 18 फरवरी 2018 को बालक संतान के रूप में प्राप्त हुई थी। इनमें से बड़ी संतान बालिका को तो नियमानुसार बलौदा बाजार की एक दम्पति को गोद दे दिया गया है, शेष तीन संतानों को संबंधित व्यक्तियों के कब्जे से वापस लेकर मातृछाया संस्थान में संरक्षित किया गया।
कलक्टर की पहल का सभी ने किया स्वागत
पत्रिका के समाचार प्रकाशन के बाद संवेदनशीलता और मानवीयता का उदाहरण प्रस्तुत कर विक्षिप्त युवती के उचार की पहल के साथ लापता संतानों का संरक्षण व अनाचारी के विरूद्ध अपराध दर्ज करने वाले कलक्टर केसी देवसेनापित का सभी वर्ग ने धन्यवाद ज्ञापित किया है।
विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लविना लाल, लायनेस प्रेसीडेंट अंशु गोयल, आशा द होप अध्यक्ष हेमलता गुप्ता, महिला मण्डल की लता गोयल, सपना अग्रवाल, ममता अग्रवाल, श्वेता गुप्ता समेत अन्य महिलाओं एवं विभिन्न संगठनों ने कलक्टर और पत्रिका की पहल को सराहनीय बताते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया है।
दस वर्ष से होता रहा दैहिक शोषण
जिला बाल संरक्षण इकाई को जिला प्रशासन से निर्देश मिलने के बाद इकाई के जिला अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में बुधवार को भटगांव पुलिस पहुंचकर पीडि़ता की बहन ने रिपोर्ट दर्ज कराई। थाना प्रभारी पी तिवारी ने बताया कि पीडि़ता की पहली संतान 2009 में उत्पन्न हुई थी, इसी आधार पर वर्ष 2008 से 2018 तक उसके साथ बलात्कार होने की पुष्टि हुई है। पीडि़ता के बहन के आवेदन पर अज्ञात के विरूद्ध धारा 376 के तहत अपराध दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
बाल संरक्षण इकाई की भूमिका प्रशंसनीय
पीडि़ता के उपचार से लेकर, बच्चों के संरक्षण एवं प्राथमिकी दर्ज करा विक्षिप्त को न्याय दिलाने की दिशा में बाल संरक्षण इकाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कलक्टर और जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देशन में बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल और उसकी टीम ने संभावित हर पहलुओं तक पहुंचकर न केवल पीडि़त को उपचार के लिए भेजा बल्कि हर बच्चे तक पहुंचकर उन्हें उनका अधिकार दिलाने की कोशिश की।
पेड़ के नीचे दिया था तीसरे बच्चे को जन्म
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बताया कि प्रसव पंजी के अनुसार विक्षिप्त युवती का तीसरा प्रसव सलका गांव के समीप ही एक पेड़ के नीचे हुआ था। यहां उसने पुत्र संतान को जन्म दिया था और ग्रामीणों की पहल पर प्रसूता और बच्चे को सलका अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया गया था।