तूफान से जहां विशालकाय पेड़ धराशायी हो गए, वहीं मूसलाधार बारिश से डबरी, बांध, तालाब व लोगों के घरों को क्षति पहुंची है। दुर्गापुर में तो दो महीने पहले बना बांध पूरी तरह बह गया है। इससे कई एकड़ में लगी किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इलाके में इस तबाही से विद्युत व्यवस्था भी ठप हो गई है।
शुक्रवार की शाम को ग्राम केदारपुर, गौरीपुर, कंचनपुर, फूलकोना, दुर्गापुर आदि में पहले तो जोरदार आंधी चली। इससे देखते ही देखते जहां विशालकाय वृक्ष पत्तों की तरह धराशायी हो गए तो वहीं कई घरों के छप्पर आदि भी उड़ गए। लोग इस तूफान से संभल पाते कि मूसलाधार बारिश का दौर शुरू हो गया।
ग्रामीणों की मानें तो करीब घंटे भर तक कुदरत ने यहां जमकर तबाही मचाई। कुदरत के इस आफत से जहां कई डबरी, बांध, तालाब बह गए हैं। वहीं बिजली के खंभे भी उखड़ कर सड़कों पर आ गए हैं। जिससे बिजली व्यवस्था ठप हो गई है। फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। बताया जा रहा है कि इस चक्रवाती तूफान का सर्वाधिक असर ग्राम केदारपुर में था।
जहां के आनंद कुमार, हरिशचंद्र, शंकर सिंह आदि के घरों को काफी क्षति पहुंची है। दो दिनों से इन गांवों में बिजली व्यवस्था ठप होने से यहां का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है। ग्रामीणों ने हुई क्षति का आंकलन कर राहत राशि की गुजारिश की है।
प्रभावित क्षेेत्र में पहुंचे भाजपा नेता
प्रेमनगर क्षेत्र में आसमानी आफत से हुई नुकसान की खबर पर भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक बाबूलाल अग्रवाल रविवार को प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे थे। यहां उन्होंने लोगों की नुकसानी का जायजा लेते हुए प्रभावितों को उचित मदद के लिए भरोसा दिलाया है और लगे हाथ तत्कालिक मदद के लिए जनपद के सीईओ से चर्चा की है तथा विद्युत विभाग के अधिकारियों को भी तत्काल विद्युत व्यवस्था बहाल करने को कहा है। इस दौरान उनके साथ रामनारायण यादव, हंसेलाल साहू, रामचरित्र कन्नौजे भी थे।
बांध बहने से 10 एकड़ फसल बर्बाद
ग्राम दुर्गापुर में 21 लाख रूपये की लागत से बना बांध पहली ही बारिश में बह गया है। बांध के बहने से कई किसानों के फसल भी बर्बाद हो गए है। दो माह पूर्व बांध का निर्माण कराया गया था।
बताया जा रहा है कि बांध के स्थल को लेकर पहले से ही ग्रामीण आपत्ति कर रहे थे लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ग्रामीणों की आपत्ति को दरकिनार कर बांध का निर्माण करा दिया और दो माह भी नहीं हुए कि बांध बारिश के बह गया। इससे करीब 10 एकड़ की फसल भी बर्बाद हो गई है और किसान खुद को ठगा महसूस करने लगे हैं।
किसानों का तो यह भी आरोप है कि उक्त बांध के निर्माण के समय नियमों की भी अनदेखी की गई। मनरेगा के तहत बनाए गए इस बांध में मजदूरों की बजाए मशीनों का खुलेआम उपयोग किया गया था।