scriptखून के अभाव में सिकलिंग पीडि़त मासूम बेटे ने मां-बाप की आंखों के सामने तड़पकर तोड़ा दम | Innocent son death from sickling in the absence of blood | Patrika News

खून के अभाव में सिकलिंग पीडि़त मासूम बेटे ने मां-बाप की आंखों के सामने तड़पकर तोड़ा दम

locationसुरजपुरPublished: Aug 09, 2018 10:02:10 pm

जिला अस्पताल के ब्लड नहीं होने से ब्लड बैंक के औचित्य पर उठ रहे सवाल, दर-दर भटकते रहे माता-पिता

Dead body

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सूरजपुर. जिला चिकित्सालय में मौजूद ब्लड बैंक के औचित्य पर गुरुवार को उस समय फिर सवाल खड़ा हो गया जब एक 7 वर्षीय मासूम की मौत केवल रक्त की कमी के कारण हो गई। मासूम के परिजन रक्त के लिए घंटों अस्पताल में भटकते रहे और इधर दर्द से तड़पते मासूम ने दम तोड़ दिया।

सूरजपुर जिला चिकित्सालय में जिले के प्रेमनगर जैसे दूरस्थ अंचल के ग्राम अनंतपुर से गुरूवार को शिवमंगल नाम के ग्रामीण ने अपने पुत्र 7 वर्षीय सिद्धार्थ सिंह को लेकर बेहतर उपचार के लिए पहुंचा था। बच्चे में रक्त की कमी थी और वह सिकलिंग बीमारी से जूझ रहा था। कहने को यहां है तो ब्लड बैंक, लेकिन जब ग्रामीण अंचल के गरीब तबके के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा तो फिर ऐसे ब्लड बैंक का क्या औचित्य है।
यह कोई पहला मामला भी नहीं है इससे पूर्व भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हंै। इस पर लोग नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं तथा अधिकारियों का ध्यानाकर्षण के बाद भी व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार की घटना के संदर्भ में बताया जाता है कि शिवमंगल सिंह जब अपने बच्चे को लेकर पहुंचा तो उसे औपचारिकताओं में इस कदर उलझाया गया कि वह कोई दूसरी व्यवस्था भी नहीं कर सका।
रक्त की कमी से मासूम दर्द से तड़प रहा था और उसके शरीर में मात्र आधा ग्राम रक्त था। ऐसे में मासूम की जान बचाने के लिए तत्काल रक्त की आवश्यकता थी और अस्पताल के कर्मचारी से लेकर डॉक्टर तक इस बात से वाकिफ थेे लेकिन उनकी संवेदनाएं मर चुकी थी। जिसका खामियाजा मासूम को जान देकर चुकाना पड़ा।

कर्मचारियों की मनमानी से चिकित्सक भी परेशान
सूत्र बताते हैं कि यहां ब्लड बैंक में पदस्थ कर्मचारी इस कदर बेखौफ हैं कि उनके सामने चिकित्सकों की भी नहीं चलती। चिकित्सक अगर किसी की जान बचाने चाह भी जाएं तो वर्षों से जमे इन कर्मचारियों के सामने वे खुद को असहाय बताते हैं। कभी मौके पर उनकी मौजूदगी नहीं रहती तो कभी नियमों का हवाला देकर चिकित्सकों को ही गुमराह कर दिया जाता है। जब यह आलम चिकित्सकों के साथ है तो फिर आम आदमी की बिसात क्या है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

उलझन भरी शर्तें भी मुसीबत
किसी गरीब मरीज की जान भले चली जाए पर अस्पताल की शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। शर्तें भी ऐसी कि जो किसी उलझन से कम नहीं है। मसलन, बाहर का रिपोर्ट मान्य नहीं है जबकि खुद के लैब का ठिकाना नहीं है। दूसरा ब्लड के बदले ब्लड चाहिए तभी जरूरतमंद को रक्त मिल सकेगा। ऐसे में दूरदराज से आए मरीजों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है यह वहीं समझ सकते हैं।
अलबत्ता यह जरूर है कि गांव से आए किसी मरीज के पास किसी रसूखदार से पहचान हैै तो फिर कायदे कानूनों को दरकिनार कर ब्लड उपलब्ध हो सकता है। लेकिन ऐसा आम मरीजों के साथ होता नहीं है। कई बार जिला चिकित्सालय के अधिकारियों का ध्यानाकर्षित कराया जा चुका है। परंतु अब तक इस दिशा में पहल न होने से ग्रामीण क्षेत्र के गरीब तबके को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और ऐसे ही नादिरशाही रवैये का खामियाजा आज शिवमंगल के पुत्र को भुगतना पड़ा है।

अधिकारियों ने ये कहा
सीएमचओ डॉ. एसपी वैश्य ने बताया कि अभी मैं रायपुर में हूं। वापस पहुंचकर मामले की जानकारी लूंगा कि मासूम को रक्त कैसे नहीं मिल सका। दूसरी ओर आरएमओ डॉ. आरएस सिंह के मुताबिक यह जांच का विषय है कि लापरवाही किस स्तर पर हुई। उनके संज्ञान में जब बात आई तो बच्चे की मौत हो चुकी थी।
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