Pregnant elephant death: डॉक्टरों की टीम ने हथिनी के शव का किया पोस्टमार्टम, कुछ ही दिनों में होने वाली थी डिलीवरी, शावक भी मृत पाया गया, घटना से सप्ताह भर पूर्व ही वन विभाग (Forest department) ने विद्युत विभाग में आवेदन देकर हाथी विचरण क्षेत्र (Elephants Wandering area) में तरंगित झूले तारों को ठीक करने की थी मांग
Elephant and his cub dead body
प्रतापपुर. Pregnant elephant death: सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत दरहोरा असनापारा में विद्युत विभाग की लापरवाही से एक गर्भवती हथिनी की जान चली गई। दरअसल गांव में 11 केवी का तार निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे झूल रहा था। मंगलवार की देर रात गर्भवती हथिनी इसकी चपेट में आ गई। करंट लगने की वजह से तड़पकर हथिनी की मौत हो गई। बुधवार की सुबह डॉक्टरों की टीम ने जब हथिनी के शव का पीएम किया तो शावक भी मृत निकला, वह मेच्योर हो गया था। वन विभाग (Forest department) द्वारा 12 जनवरी को ही विद्युत विभाग में हाथी विचरण क्षेत्र में झूल रहे तारों को निर्धारित ऊंचाई तक करने आवेदन दिया था। यदि सप्ताहभर में तारों को ऊपर कर लिया गया होता तो गर्भवती हथिनी की मौत नहीं होती।
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र दरहोरा में 3 हाथियों का दल विचरण कर रहा था। मंगलवार की रात हाथियों का दल विचरण करते हुए दरहोरा के असनापारा में पहुंच गया। इसी दौरान दल में शामिल एक गर्भवती हथिनी काफी नीचे झूल रहे ११ केवी के तार की चपेट में आ गई। वहीं 2 अन्य हाथी तार के नीचे से निकल गए।
इधर करंट लगने से हथिनी तड़प कर चिंघाडऩे लगी। उसके चिंघाडऩे की आवाज ग्रामीणों ने भी सुनीं। कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया। सुबह उसकी लाश ग्रामीणों ने देखी तो इसकी सूचना वन विभाग को दी। इस पर सीसीएफ सरगुजा, सीएफ वाइल्ड लाइफ, डीएफओ सूरजपुर तथा प्रतापपुर, रमकोला, घुई, ओडग़ी, भैयाथान के रेंजर मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने घटना की जांच की।
इसके बाद पशु चिकित्सक डॉ. महेंद्र पांडे की अगुवाई में टीम ने मृत हथिनी के शव का पीएम किया। पीएम के दौरान हथिनी के गर्भ से शावक भी मृत अवस्था में निकला, उसे भी करंट लगा था। हथिनी व शावक के पीएम के बाद उन्हें घटनास्थल पर ही दफना दिया गया। हथिनी १७ माह की गर्भवती थी तथा शावक मेच्योर हो गया था। कुछ ही दिनों बाद उसका जन्म होने वाला था, लेकिन विभाग की लापरवाही से दोनों की जान चली गई।
चार से पांच मीटर ऊंचा होना चाहिए तार पूरी घटना में वन विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार हाथी रहवास क्षेत्र में 11 केवी के विद्युत तार की ऊंचाई जमीन से चार से पांच मीटर होनी चाहिए, ताकि विचरण के दौरान हाथी इसकी चपेट में न आ सकें।
लेकिन दरहोरा के असनापारा में 11 केवी का तार निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे झूल रहा था। इसी कारण से मंगलवार की देर रात जब हाथियों का दल यहां पहुंचा तो गर्भवती हथिनी नीचे झूल रहे 11 केवी के तार की चपेट में आ गई व तड़पकर उसकी जान चली गई।
विद्युत पोल भी गलत लगे हैं असनापारा में निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे ११केवी के तार के झूलने से हथिनी की जान चली गई। इसमें विद्युत विभाग की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो खंभे तार के लिए गाड़े गए थे, वह भी तकनीकी रूप से गलत लगे थे। एक खंभा गड्ढे में लगाया गया था तथा दूसरा ऊंचाई पर था।
जबकि एक हाइट पर खंभे लगाए जाने चाहिए थे। ऊपर-नीचे लगाए जाने की वजह से तार काफी नीचे झूल रहा था। तरंगित तार की चपेट में आने से हथिनी की तो जान चली ही गई, इंसान के लिए भी खतरा था। कोई व्यक्ति भी उसकी चपेट में आ सकता था।
वन विभाग ने तारों को ठीक करने दिया था आवेदन प्रतापपुर रेंजर कार्यालय द्वारा 12 जनवरी को हाथी विचरण क्षेत्र में झूल रहे तरंगित तारों को निर्धारित ऊंचाई तक करने विद्युत विभाग के कनिष्ठ यंत्री को आवेदन दिया था। इसमें लिखा था कि प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम सरहरी, करंजवार, केवरा, पार्वतीपुर, सिंघरा, दरहोरा, मसगा, चंदैली, नवाडीह, करसी, पेंडारी व सिलफिली में अलग-अलग दल में वर्तमान में 30-35 हाथी विचरण कर रहे हैं।
ये हाथी ग्रामीणों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों द्वारा अवैध हुकिंग कर फसलों की सुरक्षा की जा रही है, इससे तरंगित तार (Current wire) झूल गए हैं और हाथियों के उसमें फंसने की आशंका है। तारों को निर्धारित ऊंचाई तक करने की बात उनके द्वारा कही गई थी।