प्रतापपुर वन परिक्षेत्र दरहोरा में 3 हाथियों का दल विचरण कर रहा था। मंगलवार की रात हाथियों का दल विचरण करते हुए दरहोरा के असनापारा में पहुंच गया। इसी दौरान दल में शामिल एक गर्भवती हथिनी काफी नीचे झूल रहे ११ केवी के तार की चपेट में आ गई। वहीं 2 अन्य हाथी तार के नीचे से निकल गए।
इधर करंट लगने से हथिनी तड़प कर चिंघाडऩे लगी। उसके चिंघाडऩे की आवाज ग्रामीणों ने भी सुनीं। कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया। सुबह उसकी लाश ग्रामीणों ने देखी तो इसकी सूचना वन विभाग को दी। इस पर सीसीएफ सरगुजा, सीएफ वाइल्ड लाइफ, डीएफओ सूरजपुर तथा प्रतापपुर, रमकोला, घुई, ओडग़ी, भैयाथान के रेंजर मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने घटना की जांच की।
इसके बाद पशु चिकित्सक डॉ. महेंद्र पांडे की अगुवाई में टीम ने मृत हथिनी के शव का पीएम किया। पीएम के दौरान हथिनी के गर्भ से शावक भी मृत अवस्था में निकला, उसे भी करंट लगा था। हथिनी व शावक के पीएम के बाद उन्हें घटनास्थल पर ही दफना दिया गया। हथिनी १७ माह की गर्भवती थी तथा शावक मेच्योर हो गया था। कुछ ही दिनों बाद उसका जन्म होने वाला था, लेकिन विभाग की लापरवाही से दोनों की जान चली गई।
चार से पांच मीटर ऊंचा होना चाहिए तारपूरी घटना में वन विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार हाथी रहवास क्षेत्र में 11 केवी के विद्युत तार की ऊंचाई जमीन से चार से पांच मीटर होनी चाहिए, ताकि विचरण के दौरान हाथी इसकी चपेट में न आ सकें।
लेकिन दरहोरा के असनापारा में 11 केवी का तार निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे झूल रहा था। इसी कारण से मंगलवार की देर रात जब हाथियों का दल यहां पहुंचा तो गर्भवती हथिनी नीचे झूल रहे 11 केवी के तार की चपेट में आ गई व तड़पकर उसकी जान चली गई।
यह भी पढ़ें: एक और हाथी की मौत, जंगल में मिली सड़ी-गली लाश, रेंजर समेत वन अमला बेखबर विद्युत पोल भी गलत लगे हैंअसनापारा में निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे ११केवी के तार के झूलने से हथिनी की जान चली गई। इसमें विद्युत विभाग की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो खंभे तार के लिए गाड़े गए थे, वह भी तकनीकी रूप से गलत लगे थे। एक खंभा गड्ढे में लगाया गया था तथा दूसरा ऊंचाई पर था।
जबकि एक हाइट पर खंभे लगाए जाने चाहिए थे। ऊपर-नीचे लगाए जाने की वजह से तार काफी नीचे झूल रहा था। तरंगित तार की चपेट में आने से हथिनी की तो जान चली ही गई, इंसान के लिए भी खतरा था। कोई व्यक्ति भी उसकी चपेट में आ सकता था।
यह भी पढ़ें: हाथियों की मौत का सिलसिला जारी, आज सुबह फिर एक दंतैल हाथी का मिला शव वन विभाग ने तारों को ठीक करने दिया था आवेदनप्रतापपुर रेंजर कार्यालय द्वारा 12 जनवरी को हाथी विचरण क्षेत्र में झूल रहे तरंगित तारों को निर्धारित ऊंचाई तक करने विद्युत विभाग के कनिष्ठ यंत्री को आवेदन दिया था। इसमें लिखा था कि प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम सरहरी, करंजवार, केवरा, पार्वतीपुर, सिंघरा, दरहोरा, मसगा, चंदैली, नवाडीह, करसी, पेंडारी व सिलफिली में अलग-अलग दल में वर्तमान में 30-35 हाथी विचरण कर रहे हैं।
ये हाथी ग्रामीणों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों द्वारा अवैध हुकिंग कर फसलों की सुरक्षा की जा रही है, इससे तरंगित तार (Current wire) झूल गए हैं और हाथियों के उसमें फंसने की आशंका है। तारों को निर्धारित ऊंचाई तक करने की बात उनके द्वारा कही गई थी।