पुलिस द्वारा रिपोर्ट के आधार पर रामनगर सरपंच व सचिव के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471 व 34 के तहत जुर्म दर्ज कर पतासाजी शुरू कर दी गई थी। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सरपंच व सचिव द्वारा आयुक्त न्यायालय सरगुजा संभाग में पुनरीक्षण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था। साथ ही दोनों आरोपियों द्वारा उच्च न्यायालय बिलासपुर में भी याचिका दायर की गई थी।
उच्च न्यायालय (High court) द्वारा मामले में आदेश जारी कर निर्देश दिया गया था कि आयुक्त सरगुजा संभाग द्वारा संबंधित प्रकरण में अग्रिम आदेश व निर्णय तक विवेचना में रोक लगाई गई थी। आयुक्त सरगुजा संभाग में प्रकरण की जब यथास्थिति की जानकारी हेतु पुलिस द्वारा पत्राचार किया गया था, तब पता चला कि 2 मई 2022 को ही आरोपी सरपंच जवाहर सिंह व आवेदक हुपेश प्रजापति द्वारा प्रस्तुत आवेदन निराकृत हो चुका है और आरोपी सरपंच के आवेदन को निरस्त कर दिया गया है।
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इसके पश्चात मुखबिर की सूचना पर 6 मई को पुलिस ने दबिश देकर दो वर्षों से फरार चल रहे रामनगर सरपंच जवाहर सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
कुछ दिन पूर्व हुआ था बहालबताया जा रहा है कि रामनगर सरपंच जवाहर सिंह को शासकीय राशि के गबन मामले में पद से पृथक कर दिया गया था। इसके पश्चात कुछ दिन पूर्व आयुक्त सरगुजा संभाग के निर्देशानुसार पुन: सरपंच पद पर बहाल किया गया था।