scriptमादा एनोफिलिस नहीं क्यूलिफेसिस मच्छर से यहां फैल रहा मलेरिया, 19 पहुंचा मौत का आंकड़ा | Surajpur : Heres Quilifesis mosquitoes spreading Malaria the death figure of 19 | Patrika News

मादा एनोफिलिस नहीं क्यूलिफेसिस मच्छर से यहां फैल रहा मलेरिया, 19 पहुंचा मौत का आंकड़ा

locationसुरजपुरPublished: Aug 13, 2017 10:24:00 pm

रिसर्च टीम को मिली बड़ी सफलता, जिले में मादा एनोफिलिस वेक्टर से ही अब तक फैलता था मलेरिया, क्यूलिफेसिस वेक्टर के इससे पहले प्रदेश भर में कहीं भी नहीं

research team

research team in Chandani Biharpur area

सूरजपुर. मलेरिया के भीषण प्रकोप वाले चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के ग्रामों में मलेरिया व मच्छरों पर रिसर्च कर रही चार सदस्यीय टीम ने आखिरकार मलेरिया के भीषण प्रकोप और दिमागी मलेरिया को बढ़ावा देने वाले वेक्टर की खोज कर ही ली है। रिसर्च टीम को यहां ऐसा वेक्टर मिला है जो जिले में कहीं नहीं है। सामान्य तौर पर क्षेत्र में मलेरिया का वाहक मादा एनाफेलिस वेक्टर ही था लेकिन अब क्षेत्र में क्यूलिफेसिस वेक्टर भी मलेरिया फैला रहे हैं। इधर मलेरिया से एक और मासूम ने दम तोड़ दिया। इससे मौत का आंकड़ा बढ़कर 19 हो गया है।

जिले के मलेरिया नियंत्रक अधिकारी एवं बीएमओ डॉ. आरएस सिंह ने बताया कि एनआईएमआर की चार सदस्यीय टीम ने पिछले चार दिनों में मलेरिया प्रभावित ग्राम महुली, खोहिर, पासल एवं अवंतिकापुर पहुंचकर विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है। उन्होंने इन ग्रामों की मिट्टी, पानी और वनस्पतियों का संग्रहण किया है और यहां के मच्छरों की विभिन्न प्रजातियों को पकड़कर उस पर शोध करना शुरू कर दिया है।
रिसर्च टीम के प्रमुख डॉ. राजीव रांझा ने बताया कि मच्छरों में क्यूलिफेसिस वेक्टर के लक्षण पाए गए हैं, यह एक बड़ी सफलता है, क्यूलिफेसिस वेक्टर के लक्षण इससे पूर्व सूरजपुर जिला समेत प्रदेश के कई जिलों में नहीं पाए गए हैं।

मादा एनाफिलिस से ज्यादा घातक
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. आरएस सिंह ने बताया कि मच्छरों में मलेरिया का वाहक मादा एनाफिलिस से क्यूलिफेसिस वेक्टर ज्यादा घातक है। सामान्य तौर पर मलेरिया की उत्पत्ति मादा एनाफिलिस वेक्टर से होती है। कोल्हुआ क्षेत्र में गंभीर एवं दिमागी मलेरिया के मरीजों की संख्या का प्रतिशत बहुत ज्यादा होने में क्यूलिफेसिस वेक्टर की ही भूमिका हो सकती है।

डीडीटी की जगह अन्य कीटनाशक का होगा उपयोग
चांदनी क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण में डीडीटी का छिड़काव कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। मच्छरों में क्यूलिफिसिस वेक्टर मिलने के बाद प्रबंधन द्वारा अन्य कीटनाशक का उपयोग छिड़काव में करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि मलेरिया जनित मच्छरों की संख्या में कमी लाई जा सके। डॉ. आरएस सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर मच्छरों की डेनसिटी तीन होती है। लेकिन चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में मच्छरों का घनत्व ६ गुना अधिक 19 तक दर्ज किया गया है।

सोमवार को कोल्हुआ में रिसर्च करेगी टीम
एनआईएमआर की टीम के प्रमुख डॉ. राजीव रांझा एवं शामिल सदस्य डॉ. केके गुप्ता, एनके त्रिवेदी व ओके शुक्ला ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने मलेरिया प्रभावित ग्राम महुली, खोहिर, पासल एवं अवंतिकापुर का विभिन्न पहलूओं पर अध्ययन किया है। सोमवार को यह टीम सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित ग्राम कोल्हुआ पहुंचेगी। यहां के सभी दस मोहल्लों में पहुंचकर मच्छरों की प्रजाति, मलेरिया का प्रकार, मच्छरों के पनपने एवं मृत्यु के कारण, इलाज हेतु कारगर दवा, बचाव हेतु उपयुक्त उपाय, जरूरी सावधानियों के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर शोध किया जायेगा।

विशालपुर में दूधमुहे मासूम ने तोड़ा दम
क्षेत्र में मलेरिया के भीषण प्रकोप ने शनिवार को एक और मासूम की जान ले ली। विशालपुर के कमला प्रसाद विश्वकर्मा के दो माह के पुत्र रामा विश्वकर्मा की मौत मलेरिया से होने के बाद अकेले बिहारपुर क्षेत्र में मलेरिया से मरने वालों की संख्या 18 तथा जिले में यह 19 हो गई है।

देवड़ी व बेदमी में उल्टी दस्त का प्रकोप
ओडग़ी विकासखण्ड के ग्राम कुप्पी में उल्टी दस्त से ३ लोगों की मौत और 25 लोगों के चपेट में होने की सूचना के बाद वहां की स्थिति तो लगभग सामान्य हो गई है। लेकिन ओडग़ी अंतर्गत ग्राम देवड़ी और बेदमी में उल्टी दस्त व बुखार से कई परिवार पीडि़त होने की सूचना मिल रही है। देवड़ी के उल्टी दस्त पीडि़त पांच लोगों को बिहारपुर और ओडग़ी में भर्ती कराया गया है। वहीं बेदमी में चिकित्सा दल द्वारा कैम्प लगाकर उपचार शुरू कर दिया गया है।
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