बारिश रुकने के बाद पानी जगह जगह रुका हुआ है। गटर, कोतर, गंदे निकास नाले, गलियों में पानी भरने से मच्छरों की उत्पत्ति बढ़ रही हैं। डोकमर्डी, आमली, पिपरिया दयात फलिया, लवाछा विस्तार में टायर ट्यूब एवं लोहखंड के जगह जगह कबाड़ केन्द्र हैं, जिससे डेंगू के मच्छरों को आश्रय मिल रहा हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दवा छिड़काव, फॉगिंग के साथ लोगों जागृत करने में लगे हैं।
एनवीडीसीपी प्रोग्राम अधिकारी डॉ एस कुमार ने बताया कि मौसमी बीमारियों पर नियंत्रण के प्रयास जारी हैं। मच्छरों से बचाव के लिए घर के गमले, फ्रिज आदि की रोजाना सफाई आवश्यक है। शहर में मच्छरों से बचाव और सुरक्षा के लिए जगह जगह पोस्टर एवं पंपलेट लगाए गए हैं। खाली एवं सार्वजनिक स्थलों पर पड़े कबाड़, कचरे के ठेले, टुटे बर्तन, प्लास्टिक की टंकी आदि हटाने के लिए अभियान चलाया हैं। छतों पर कबाड़ और कूड़ा करकट साफ करने के लिए लोगों से आग्रह किया गया है।
गांवों में डेंगू के गिने-चुने मामले
शहर से दूर गांवों में डेंगू के केस बहुत कम मिल रहे हैं। खानवेल उप जिला अस्पताल प्रभारी डॉ गणेश वरणेकर ने बताया कि कुछ दिनों पहले एक केस डेंगू का मिला था। इसके बाद बुखार, खांसी, जुकाम आदि मौसमी रोगियों की संख्या बढ़ी है। इन दिनों खानवेल अस्पताल में रोजाना 700 से 800 मरीज ओपीडी में पंजीकृत हो रहे हैं।