scriptfraud : जीएसटी इनपुट क्रेडिट पाने के लिए किया 20 करोड़ का ट्रांजेक्शन | 20 crore transactions done to get GST input credit in surat by ca | Patrika News

fraud : जीएसटी इनपुट क्रेडिट पाने के लिए किया 20 करोड़ का ट्रांजेक्शन

locationसूरतPublished: Apr 09, 2021 11:48:21 am

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

 
– बिल्डर के घर का फर्जी लाइट बिल तैयार कर दो सीए ने किया घपला
– Two CAs create a fake light bill of builder’s house and do a scam

fraud : जीएसटी इनपुट क्रेडिट पाने के लिए किया 20 करोड़ का ट्रांजेक्शन

fraud : जीएसटी इनपुट क्रेडिट पाने के लिए किया 20 करोड़ का ट्रांजेक्शन

सूरत. पाल क्षेत्र के बिल्डर के नाम फर्जी दस्तावेज बनाकर सहयोग एंटरप्राइज के नाम से जीएसटी नंबर लेने वाले दो चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा 20 करोड़ का ट्रांजेक्शन कर उस पर जीएसटी इनपुट क्रेडिट लेने का मामला सामने आया है। बिल्डर ने इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए भावनगर के एक सीए को अपनी फाइल भेजने पर यह घपला सामने आया। इस संबंध में अडाजन पाल ग्रीन सिटी रोड पर प्रथम गणेश निवासी पीडि़त कुणाल वाघाणी ने सीए भरत रूपारेलिया और नरेंद्र भाथाणी के खिलाफ क्राइम ब्रांच इको सेल में प्राथमिकी दर्ज करवाई है।
पुलिस ने भरत रूपारेलिया को गिरफ्तार किया है तथा इस घपले में जुड़े अन्य लोगों की पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, कृणाल न इच्छापोर डिजिटल क्रिएटिव टेक्सटाइल के नाम से व्यापार शुरू किया था। इस व्यापार के लिए उन्होंने 5 मई 2018 को वराछा के सीए भरत रूपारेलिया और नरेंद्र भथानी को फोटो, पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक स्टेटमेंट और फैक्ट्री की लाइट बिल की फोटोकॉपी सहित दस्तावेज देकर जीएसटी नंबर लिया था।
कुणाल ने वराछा के बैंक से 80 लाख रुपए का लोन दोनों सीए के माध्यम से लिया था और उस समय भी अपने दस्तावेज दिए थे। लोन की भरपाई हो जाने के बाद डिजिटल क्रिएटिव का कोराबार बंद कर दिया था। 4 महीने पहले उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए फाइल दी। सीए ने जीएसटी के लिए फॉर्म 26 लिया और जांच करने पर पता चला कि सहयोग एंटरप्राइज के नाम से जीएसटी नंबर लेकर उनकी फर्म से 20 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया।
जबकि उनकी फर्म से लेन-देन नहीं हुआ था। उक्त फर्म के कर्ताधर्ता सीए भरत व नरेन्द्र होने की जानकारी होने पर उन्हें माजरा समझ में आया। उनहोंने अपने घर का लाइट बिल सीए भरत और नरेंद्र को दिया ही नहीं था। इसलिए दोनों ने फर्जी लाइट बिल बना कर इस्तेमाल किया।

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