यदि पिछले तीन वर्षो के आंकड़ों की बात करे तो राज्य में विभिन्न मामलों के कुल 13 हजार 689 आरोपी फरार है। जिनमें सबसे अधिक 2 हजार 143 अहमदाबाद में वांछित है। इन फरार आरोपियों में 226 ऐसे हैं जिनके खिलाफ पुलिस प्रिवेन्शन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटी एक्ट (पासा) के तहत मामला दर्ज किया हैं।
पासा के तहत उन्हीं आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है जो पूर्व में कई गंभीर अपराधों में लिप्त रहे हो तथा शहर की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हो। उन्हें पासा के तहत जेल भेज दिया जाता है। आमतौर पर पासा के तहत उन्हीं हिस्ट्रीशीटरों के खिलाफ कार्रवाई होती हैं जो पेशेवर अपराधी होते है तथा कई बार गिरफ्तार होने के बावजूद अपराधिक गतिविधियों को बंद नहीं करते और समाज के लिए खतरा बने रहते है।
पूर्व में एक से अधिकबार पकड़े जाने के कारण पुलिस के पास इन आरोपियों कच्छा चिट्ठा मौजूद होता है। इनके फोटोग्राफ्स, सभी संभावित पते ठिकानों समेत समूची जानकारी पुलिस अपने मेन क्राइम रिकॉर्ड (एमसीआर) में सुरक्षित होती है। संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद पिछले तीन वर्षो से राज्य में पासा के ऐसे 226 आरोपी फरार है।
जिन्हें पुलिस को ढूंढ नहीं पा रही है। इनमें से सबसे अधिक 71 आरोपी सूरत में वांछित है। यहां उल्लेखनीय हैं कि फरार आरोपियों को पकडऩे के लिए समय समय पर राज्य स्तर व शहर स्तर पर विशेष अभियान भी चलाए जाते है।
फरार चल रहे आरोपियों को प$कने के लिए क्राइम ब्रांच में विशेष दस्ते भी गठित किए जाते है। लेकिन पुलिसकर्मियों की कमी के चलते जरुरत पडऩे पर इन दस्तों को खत्म कर दिया जाता है।
तौर तरिकों से वाकिफ, रखते हैं सांठ गांठ जानकार बताते हैं कि हिस्ट्रीशीटर पुलिस के काम करने के तौर तरिकों से अच्छी तरह से वाकिफ होते है। उन्हें पता होता हैं कि पुलिस कब कहां उनकी तलाश करेगी। इसलिए वे सतर्क रहते है। इतना ही नही वे भ्रष्ट्र पुलिसकर्मियों के साथ अपनी सांठ गांठ बना कर रखते हैं।
जिसके चलते उन्हें कार्रवाई की सूचना पहले ही मिल जाती है। भ्रष्ट पुलिसकर्मी भी फरार चल रहे अन्य आरोपियों को पकड़ कर उन्हें दी गई जिम्मेदारी की खानापूर्ति कर देते है।
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