घटना की खबर मिलते ही दमकल व आलाधिकारियों समेत पुलिस का काफिला मौके पर पहुंच गया। दमकलकर्मियों ने श्रमिकों को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने इस घटना को लेकर टैंकर के चालक व मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की है।
एसीपी जे.के.पंड्या ने बताया कि सचिन जीआइडीसी स्थित राजकमल चौराहे के पास सुबह करीब चार बजे एक टैंकर चालक द्वारा अवैध रूप से खतरनाक केमिकल का वहां से निकलने वाली खाड़ी (बरसाती नाले) में निस्तारण किया जा रहा था। उस दौरान यह हादसा हुआ केमिकल में किसी तरह के रिएक्शन की वजह आसपास के इलाके में जहरीली गैस फैल गई।
निकट की विश्वा डाईंग मिल में काम कर रहे इसकी चपेट में आ गए। केमिकल की तेज गंध से उनका दम घूटने लगा। उनकी सांसे फूलने लगी और एक एक कर गिरने लगे। हादसे में छह श्रमिकों की मौके पर ही मौत हो गई। अन्य सात गंभीर है।
भोपाल सा हादसा, लग सकते थे लाशों के ढेर सूरत. सचिन जीआईडीसी में गैस रिसाव से हुए हादसे ने 1984 में हुए भोपाल गैस कांड को ताजा कर दिया। हजारों लोगों को काल का ग्रास बनाने वाले भोपाल गैस कांड के बाद भी खतरनाक रसायनों के रखरखाव इस्तेमाल कर लेकर हमने कोई सबक नहीं लिया है। सचिन जीआइडीसी में हुए हादसे को मिनी भोपाल गैस कांड कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
यहां उल्लेखनीय हैं कि सूरत शहर को केमिकल वेस्ट का डंपिग यार्ड बनाने वाले केमिकल माफिया सिर्फ खाडिय़ों (बरसाती नालो) या नदी में ही अवैध रूप से खतरनाक केमिकलों का निस्तारण नहीं करते बल्कि शहर के मुख्य मार्गो पर आबादी के बीच सीवरेज लाइनों में भी अवैध रूप से केमिकल बहा देते है। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके है। सचिन जीआईडीसी में तो खुला इलाका था और निकट में एक ही मिल थी। यदि ऐसा शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्र में हुआ होता तो लाशों के ढेर लग सकते थे।
घंटो बाद भी हादसे के जिम्मेदारों को नामजद तक नहीं कर पाई पुलिस
घंटो बाद भी हादसे के जिम्मेदारों को नामजद तक नहीं कर पाई पुलिस
सूरत. सचिन जीआइडीसी में खौफनाक हादसे के कई घंटो बाद भी पुलिस आधा दर्जन मजदूरों को काल ग्रास बनाने वाले आरोपी टैंकर चालक व टैंकर के मालिक को पुलिस ने नामजद तक नहीं कर पाई है। पुलिस ने घटना के बाद सरकार की ओर से मामला तो दर्ज किया है। लेकिन इस हादसे से उठे कई सवालों पर चुप्पी साध रखी है।
आरोपी कौन है ? टैंकर में कौन सा केमिकल था? कहां से लाया गया था? हादसा कैसे हुआ? इस पर कोई खुलासा नहीं किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना हैं कि जीपीसीबी और फोरेसिंक विभाग द्वारा जांच की जा रही है।
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पत्रिका ने पहले ही चेताया था सूरत. राजस्थान पत्रिका ने दक्षिण गुजरात की आबो हवा में जहर घोल रहे केमिकल माफियाओं की अवैध गतिविधियों को लेकर विस्तृत खबर प्रकाशित की थी। जिसमें सूरत शहर को केमिकल वेस्ट का डंपिंग यार्ड बना रहे इन माफियाओं की गतिविधियों व गुजरात प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड (जीपीसीबी), पुलिस समेत प्रशासन की अनदेखी को उजागर किया था।
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