मंगलवार को शहर पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने बताया कि इस मामले में मुंबई की हाईकेल कंपनी के तीन अधिकारियों समेत अब तक कुल दस जनों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अन्य लोगों की भूमिका को लेकर भी जांच चल रही है। जिसकी भी लिप्तता सामने आएगी। उनके खिलाफ कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।
पूर्व में पकड़े गए आरोपी प्रेम गुप्ता के मोबाइल सीडीआर की जांच में सचिन थाना का कांस्टेबल विक्रम लगातार उसके संपर्क में होने की जानकारी सामने आई थी। जिसके चलते कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, सचिन जीआइडीसी थाना प्रभारी जेपी जाड़ेजा को हटाकर उनकी जगह पर पुलिस की विशेष शाखा के डीवी बलदाणिया को नियुक्त किया गया है।
क्राइम ब्रांच समेत आलाधिकारी इस मामले में केमिकल माफियाओं के साथ सचिन जीआइडीसी पुलिस की सांठगांठ को लेकर जांच में जुटे हैं। इस मामले में और भी कई खुलासे हो सकते हैं। गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच ने प्रेम सागर गुप्ता, संगम एनवायरो वडोदरा के आशीष कुमार गुप्ता, जयप्रताप तोमर व विशाल यादव उर्फ छोटू, मैत्री वैरागी व नीलेश बेहरा को पकड़ा था।
उसके बाद सोमवार को हाइकेल कंपनी के स्टेनबलिटी एंड कॉरपोरेट हेड मुम्बई निवासी मनसुख पटेल, सप्लाई मैनेजर मुम्बई निवासी सुरेश दांडेकर व क्रॉप प्रोडक्शन के हेड मछिन्दर गोहरे व सचिन जीआईडीसी स्थित बजरंग इंडस्ट्रीज के संचालक पांडेसरा आकाश रो हाउस निवासी रमन बारिया को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने मंगलवार को चारों को अदालत में पेश कर 17 जनवरी तक पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है।
कंपनी के मालिकों की भूमिका पर कोई खुलासा नहीं :
कंपनी के मालिकों की भूमिका पर कोई खुलासा नहीं :
शहर पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने बताया कि मुंबई की हाईकेल कंपनी के आरोपी मनसुख पटेल, सुरेश दांडेकर व मछिन्दर गोहरे की पर्यावरण प्रदूषण को लेकर देखरेख की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उन्होंने महाराष्ट्र एमआइडीसी के नियमों को ताक पर रख कर संगम एन्वायरों को केकिमल निस्तारण का काम सौंपा।
उन्हें कंपनी से केमिकल वेस्ट लेकर निकले टैंकर की जीपीएस मॉनिटरिंग करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा भी नहीं किया। 14 रुपए प्रतिलीटर के हिसाब से 25 हजार लीटर सोडियम हाइड्रो सल्फाइड के निस्तारण का काम सौंपा था। हालांकि संगम एन्वायरो को सौंपे गए काम में हाइकेल कंपनी के मालिकों की भूमिका को लेकर पुलिस ने कोई खुलासा नहीं किया है।
कुछ घंटे पहले ही तीन उद्योगों से बहाया गया था जहरीला केमिकल :
कुछ घंटे पहले ही तीन उद्योगों से बहाया गया था जहरीला केमिकल :
शहर पुलिस आयुक्त ने बताया कि खाड़ी (बरसाती नाले) में हादसे से कुछ समय पूर्व ही एसिडिक वाटर वेस्ट छोड़ा गया था। सचिन जीआइडीसी क्षेत्र की तीन कंपनियों के संचालकों विजय डोबरिया, सौरभ गंगवाणी व रमण बारिया की कंपनी से एसिडिक पानी बहाया गया था। उसके बाद मुंबई की हाईकेल कंपनी का सोडियम हाइड्रो सल्फाइड छोड़ा गया था। जीपीसीबी की रिर्पोट के मुताबिक, इससे केमिकल रिएक्शन हुआ और जहरीली गैस पूरे इलाके में फैल गई। जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।
जीपीसीबी की भूमिका को लेकर भी हो जांच :
जीपीसीबी की भूमिका को लेकर भी हो जांच :
इस मामले में जीपीसीबी की संदिग्ध भूमिका लेकर भी जांच की मांग उठ रही है। जिस तरह से इस मामले में केमिकल माफियाओं की पुलिसकर्मियों के साथ सांठगांठ आ सामने आ रही है। ऐसे में लंबे समय से खाड़ी में खतरनाक केमिकल उड़ेलने वाले केमिकल माफियाओं से प्रदूषण को रोकने के लिए जिम्मेदार जीपीसीबी की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि लंबे समय से खाड़ी का डंपिंग यार्ड की तरह उपयोग हो रहा था तो जीपीसीबी ने क्यों कार्रवाई नहीं की?
यह था मामला :
यह था मामला :
सचिन जीआईडीसी में गुरुवार अलसुबह हुए हादसे में निकट मिल में काम रहे 6 श्रमिकों की मौके पर ही दम घुटने से मौत हो गई। जबकि बेहोशी सीे हालत में पहुंचे अन्य 23 जनों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राजकमल चौराहे के पास सुबह करीब चार बजे एक टैंकर चालक द्वारा केमिकल का वहां से निकलने वाले नाले में निस्तारण किया जा रहा था। उस दौरान यह हादसा हुआ।